मुखवास का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सद्गोपाल और पी . के. गोडे के अनुसंघानों के अनुसार इन ग्रंथों में शरीर के विविध प्रसाधनों में से विशेषतया दर्पण की निर्माण कला, अनेक प्रकार के उद्वर्तन, विलेप, धूलन, चूर्ण, पराग, तैल, दीपवर्ति, धूपवर्ति, गंधोदक, स्नानीय चूर्णवास, मुखवास इत्यादि का विस्तृत विधान किया गया है।
- सुबह बैठक में रखे गहरे नीले रंग के शीशे के गोल टेबल पर अबीर गुलाल की थाली , चाँदी के कटोरे में केसरवाला गोटा ( नारियल , सौंफ आदि से बना स्वादिष्ट मुखवास ) इलायची-दान में इलायची के साथ इतरदान भी मेज़ पर सजा दिया जाता।
- सद्गोपाल और पी . के . गोडे के अनुसंघानों के अनुसार इन ग्रंथों में शरीर के विविध प्रसाधनों में से विशेषतया दर्पण की निर्माण कला , अनेक प्रकार के उद्वर्तन , विलेप , धूलन , चूर्ण , पराग , तैल , दीपवर्ति , धूपवर्ति , गंधोदक , स्नानीय चूर्णवास , मुखवास इत्यादि का विस्तृत विधान किया गया है।
- सद्गोपाल और पी . के . गोडे के अनुसंघानों के अनुसार इन ग्रंथों में शरीर के विविध प्रसाधनों में से विशेषतया दर्पण की निर्माण कला , अनेक प्रकार के उद्वर्तन , विलेप , धूलन , चूर्ण , पराग , तैल , दीपवर्ति , धूपवर्ति , गंधोदक , स्नानीय चूर्णवास , मुखवास इत्यादि का विस्तृत विधान किया गया है।
- मुख प्रसाधन के लिए विलेपन और अनुलेपन , उद्वर्तन, रंजकनकिका, दीपवति इत्यादि; सिर के बालों के लिए विविध प्रकार के तैल, धूप और केशपटवास इत्यादि; आँखों के लिए काजल, सुरमा और प्रसाधन शलाकाएँ इत्यादि; ओष्ठों के लिए रंजकशलाकाएँ; हाथ और पाँव के लिए मेंहदी और आलता; शरीर के लिए चंदन, देवदारु और अगरु इत्यादि के विविध लेप, स्थानीय चूर्णवास और फेनक इत्यादि तथा मुखवास, कक्षवास और गृहवास इत्यादि।
- मुख प्रसाधन के लिए विलेपन और अनुलेपन , उद्वर्तन, रंजकनकिका, दीपवति इत्यादि; सिर के बालों के लिए विविध प्रकार के तैल, धूप और केशपटवास इत्यादि; आँखों के लिए काजल, सुरमा और प्रसाधन शलाकाएँ इत्यादि; ओष्ठों के लिए रंजकशलाकाएँ; हाथ और पाँव के लिए मेंहदी और आलता; शरीर के लिए चंदन, देवदारु और अगरु इत्यादि के विविध लेप, स्थानीय चूर्णवास और फेनक इत्यादि तथा मुखवास, कक्षवास और गृहवास इत्यादि।
- तदन्तर प्रधान देवता महाकाली , महालक्ष्मी , महासरस्वती , स्वरूपिणी भगवती दुर्गा का प्रतिष्ठापूर्वक ध्यान आह्वान , आसन , पाद्य , अध्र्य , आचमन , स्नान , वस्त्र , गन्ध , अक्षत , पुष्प-पत्र , सौभाग्य द्रव्य , धूप-दीप , नैवेद्य , ऋतुफल , मुखवास ( ताम्बूल ) , नीराजन , पुष्पांजलि , प्रदक्षिणा , नमस्कार , प्रार्थना , क्षमापन आदि षोडश उपचारों से विधिपूर्वक श्रद्धाभाव से एकाग्रचित्त होकर पूजन करें।
- तदन्तर प्रधान देवता महाकाली , महालक्ष्मी , महासरस्वती , स्वरूपिणी भगवती दुर्गा का प्रतिष्ठापूर्वक ध्यान आह्वान , आसन , पाद्य , अध्र्य , आचमन , स्नान , वस्त्र , गन्ध , अक्षत , पुष्प-पत्र , सौभाग्य द्रव्य , धूप-दीप , नैवेद्य , ऋतुफल , मुखवास ( ताम्बूल ) , नीराजन , पुष्पांजलि , प्रदक्षिणा , नमस्कार , प्रार्थना , क्षमापन आदि षोडश उपचारों से विधिपूर्वक श्रद्धाभाव से एकाग्रचित्त होकर पूजन करें।
- मुख प्रसाधन के लिए विलेपन और अनुलेपन , उद्वर्तन , रंजकनकिका , दीपवति इत्यादि ; सिर के बालों के लिए विविध प्रकार के तैल , धूप और केशपटवास इत्यादि ; आँखों के लिए काजल , सुरमा और प्रसाधन शलाकाएँ इत्यादि ; ओष्ठों के लिए रंजकशलाकाएँ ; हाथ और पाँव के लिए मेंहदी और आलता ; शरीर के लिए चंदन , देवदारु और अगरु इत्यादि के विविध लेप , स्थानीय चूर्णवास और फेनक इत्यादि तथा मुखवास , कक्षवास और गृहवास इत्यादि।