मुण्डकोपनिषद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ' मुण्डकोपनिषद' के निम्न श्लोक से 'सत्यमेव जयते' लिया गया है-
- प्रथम मुण्डक / प्रथम खण्ड / मुण्डकोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- द्वितीय मुण्डक / द्वितीय खण्ड / मुण्डकोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- तृतीय मुण्डक / प्रथम खण्ड / मुण्डकोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- उ० : मुण्डकोपनिषद से प्र०२ :सर्वाधिक पलायन वेग वाला ग्रह कौन सा है?
- उ० : मुण्डकोपनिषद से प्र०२ :सर्वाधिक पलायन वेग वाला ग्रह कौन सा है?
- इसी आत्मा और परमात्मा का व्याख्या मुण्डकोपनिषद तथा श्वेताश्वरोपनिषद ( 4 ।
- मुण्डकोपनिषद के कथनानुसार सूरज , चांद और अग्नि ही आपके तीन नेत्र हैं।
- मुण्डकोपनिषद में कहा गया है - एक पेड पर दो पक्षी बैठे हैं .
- मुण्डकोपनिषद में ' सत्यमेव जयते नानृतं ' , सत्य के समक्ष असत्य को धराशायी करता है।