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मूर्वा का अर्थ

मूर्वा अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. दवाएं : - स्प्रिका , मूर्वा , बन्ध्याक्र्कोटी , असारक , शतावर , माचिका , कमल , और गिलोय जिन्हें देवी अम्बिका , नारायणी , पद्मनी कहते हैं .
  2. ब्राह्मण ब्रह्मचारी के लिए कमर में पहनने को तीन तागे वाली मूँज की मौंजी ( मेखला ) बनानी चाहिए , क्षत्रिय के लिए मूर्वा औषधि की धनुष की ताँत की तरह और वैश्य को सन की तीन तागे वाली।
  3. जैसे रास्ना , गोखरू , चित्रकमूल , हरसिंगार , सुरजान ( Colchicum Luteum ) , अशगंध ( Withania Somnifera ) , चव्य , इन्द्रजव , पाठा , वायविडंग , गजपीपल , कुटकी , अतीस , भारंगी मूल , मूर्वा , वच एवं गिलोय।
  4. जैसे रास्ना , गोखरू , चित्रकमूल , हरसिंगार , सुरजान ( Colchicum Luteum ) , अशगंध ( Withania Somnifera ) , चव्य , इन्द्रजव , पाठा , वायविडंग , गजपीपल , कुटकी , अतीस , भारंगी मूल , मूर्वा , वच एवं गिलोय।
  5. गौतम * , आश्वलायनगृह्यसूत्र * , बौधायनगृह्यसूत्र * , मनु * , काठकगृह्यसूत्र * , भारद्वाजगृहसूत्र * तथा अन्य लोगों के मत से ब्राह्मण , क्षत्रिय एवं वैश्य बच्चे के लिए क्रम से मुञ्ज , मूर्वा ( जिससे प्रत्यंचा बनती है ) एवं पटुआ की मेखला ( करधनी ) होनी चाहिए।
  6. गौतम * , आश्वलायनगृह्यसूत्र * , बौधायनगृह्यसूत्र * , मनु * , काठकगृह्यसूत्र * , भारद्वाजगृहसूत्र * तथा अन्य लोगों के मत से ब्राह्मण , क्षत्रिय एवं वैश्य बच्चे के लिए क्रम से मुञ्ज , मूर्वा ( जिससे प्रत्यंचा बनती है ) एवं पटुआ की मेखला ( करधनी ) होनी चाहिए।
  7. ब्राह्मण्यष्टिका से कहते हैं । मूर्वा । मधुरसा । और तेजनी । तिक्तवल्लिका से कहते हैं । स्थिरा । विदारीगन्ध । शालपर्णी । अंशुमती । एक ही औषधि है । लाड्ग्ली । कलसी । क्रोष्टापुच्छा । गुहा । इनको एक ही समझना चाहिये । पुनर्नवा । वर्षाभू । कठिल्या । करुणा । ये एक ही हैं । एरण्ड को उरूवक ।
  8. चिरायता , शुंठी , देवदारू की लकड़ी , पाठा के पंचांग ( जड़ , तना , पत्ती , फल और फूल ) , मुस्तक की जड़ , मूर्वा , सारिया की जड़ , गुडूचीतना , इन्द्रयव और कटुकीप्रकन्द को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर रख लें , फिर इसी काढ़े को 14 मिली लीटर से लेकर 28 मिली लीटर को खुराक के रूप में पिलाने से स्तनों के रोग में स्त्री को लाभ पहुंचता हैं।
  9. चिरायता , शुंठी , देवदारू की लकड़ी , पाठा के पंचांग ( जड़ , तना , पत्ती , फल और फूल ) , मुस्तक की जड़ , मूर्वा , सारिया की जड़ , गुडूचीतना , इन्द्रयव और कटुकीप्रकन्द को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर रख लें , फिर इसी काढ़े को 14 मिली लीटर से लेकर 28 मिली लीटर को खुराक के रूप में पिलाने से स्तनों के रोग में स्त्री को लाभ पहुंचता हैं।
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