मोहित होना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- => दूसरे दिन के शो की शुरुआत में आभास जोशी ने गाकर बताया की “मैं हूँ डॉन . ..!” फ़िर तो सप्तपर्णा की ज़ोरदार परफार्मेंस ”के सरा....सरा....” पर मोहित होना लाजिमी था जबकि त्रिपुरा की देबारथी की प्रस्तुति सामान्य थी .
- वे टूटे नहीं , लडते रहे , तोडते रहे , लोगों को अपने शब्दों से जोडते रहे , लोग मुग्ध रहे , उनके शब्दों पर और शब्दों पर यूं मोहित होना शायद ही किसी पत्रकार के लिए देखा हो मैंने ...
- इस आधार पर काफिरों के पसंदीदा आचार व नैतिकता को उनकी सराहना और प्रशंसा के तौर पर चर्चा करना , उन पर मोहित होना और उनका आदर व सम्मान करना हराम व निषिद्ध है , क्योंकि यह उनके बारे में अल्लाह के फैसले के विपरीत है।
- जो शख्स ये जानता है कि मैं कुछ भी नहीं हूँ फिर भी अपने आप पे मोहित होना , ये कहना कि मैं बेहतरीन लेखक हूँ , मैं शब्दों का चितेरा हूँ , मैं ये हूँ , मैं वो हूँ ये सब ख़ुद को धोखा देना ही तो है !
- यह व्यंगात्मक है कि हिन्दूओं ने यद्यपि अंग्रेजी माध्यम से अपने ही पूर्वजों के लगाये हुये पौधों के फलों पर मोहित होना स्वीकार कर लिया था क्योंकि वह योरुप की चमकीली पालिश के नीचे छुपे तथ्यों के वास्तविक रूप को नहीं पहचान सके जो उन्हीं के अपने ही पूर्वजों के लगाये गये बीज थे।
- जायसी ने कथा का जो रूप रखा है उससे इसकी कथा में बहुत जगह भेद है , जैसे - जायसी ने 'हीरामन तोते' के द्वारा पद्मिनी का वर्णन सुनकर रत्नसेन का मोहित होना लिखा है, पर भाटों द्वारा एकबारगी घर से निकल पड़ने का कारण इसमें यह बताया गया है कि पटरानी प्रभावती ने राजा के सामने जो भोजन रखा वह उसे पसंद न आया।
- वृहस्पति के पुत्र महर्षि कुशध्वज की पुत्री सौंदर्यवती पर रावण का मोहित होना व उसका कौमार्यभंग करने को उद्धत होना , नलकुबेर की प्रेयसी अप्सरा रंभा के साथ दुराचार करना यही दो कार्य रावण को खलनायक सिद्ध करने के लिए पौराणिक आख्यान बने बाद में रंभा का सीता के रूप में अवतरण व सीता का, (सूर्पनखा के नाक कान कटने की प्रतिशोधी ज्वाला के कारण) हरण नें रावण को महापातकी सिद्ध कर दिया ।
- वृहस् पति के पुत्र महर्षि कुशध् वज की पुत्री सौंदर्यवती पर रावण का मोहित होना व उसका कौमार्यभंग करने को उद्धत होना , नलकुबेर की प्रेयसी अप् सरा रंभा के साथ दुराचार करना यही दो कार्य रावण को खलनायक सिद्ध करने के लिए पौराणिक आख् यान बने बाद में रंभा का सीता के रूप में अवतरण व सीता का , ( सूर्पनखा के नाक कान कटने की प्रतिशोधी ज् वाला के कारण ) हरण नें रावण को महापातकी सिद्ध कर दिया ।