यकृतशोथ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यकृतशोथ के सभी तीव्र मामलों का लगभग आधा एक विषाणु संक्रमण के कारण होते हैं।
- इस चक्र के गलत ढंग से कार्य करने पर मधुमेह , अल्सर, यकृतशोथ, हृदय रोग होते हैं।
- यकृतशोथ और पोलियों के वायरस रोगी के मल में पाए जाते हैं तथा मक्खियों द्वारा फैलते हैं।
- बालकों के घातक रोगों में टिटैनस , डिफ्थीरिया , यक्ष्मा, मेनेन्जाइटिस, एन्सेफलाइटिस , न्यूमोनिया , बाल यकृतशोथ आदि हैं।
- इनके पाश्र्व प्रभाव नहीं होते हैं और ये जुकाम , फ्लू , यकृतशोथ और हर्पीज के इलाज के लिए उपयुक्त हैं।
- इनके पाश्र्व प्रभाव नहीं होते हैं और ये जुकाम , फ्लू , यकृतशोथ और हर्पीज के इलाज के लिए उपयुक्त हैं।
- इस प्रकार का यकृतशोथ ( जिगर की सूजन ) का रोग हेपेटायटिस ' सी ' नामक विषाणु से फैलता है , जोकि अकेला आर . एन . ए. विषाणु होता है।
- नवजात यकृतशोथ ( नेओनटल् हेपटिटिस्) केसमें, पैत्तिक अवरोध विसर्ग काल का धोतक हो सकता है जिससे मल में पित्त और मूत्रमें यूरो-~ बिलिनोजन का पता चलता है, और प्रारंभिक उच्च बिलीरुबिन स्तर घट-बढ़सकता है.
- परिणामस्वरूप यकृतशोथ ( Hepetitis ) यकृत का बढ़ना ( Hepltomegely ) आदि विकार उत्पन्न होते हैं, शरीर में Toxicity (विषाक्तता) के बढ़ने से R.B.C. (लाल रूधिर कणिकाएं) का विनाश होने लगता है जिससे splenomegely (प्लीहा वृद्धि) हो जाती है।
- अब देखा जाए तो इस जिगर की सूजन के भी वैसे तो कईं कारण हैं , लेकिन हम इस समय थोड़ा ध्यान देते हैं केवल विषाणुओं (वायरस) से होने वाले यकृतशोथ (लिवर की सूजन) की ओर, जिसे अंगरेज़ी में हिपेटाइटिस कहते हैं।