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यातुधान का अर्थ

यातुधान अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. यहां राक्षसों को यातुधान ( जो मनुष्यों के निवास स्थान पर आक्रमण करते हैं ) और क्रव्याद ( कच्चा मांस खाने वाले ) कहा गया है |
  2. हे राजन ! यदि अन्य उपायों से ऎसा यातुधान ( हिँसक-राक्षस वृति का मनुष्य ) न माने तो अपने तेज से उसके सिर तक को काट डा ल.
  3. ऋग्वैदिक काल धर्म की॑ अन्य विशेश्ताए • क्रत्या , निऋति, यातुधान, ससरपरी आदि के रुप मे अपकरी शक्तियो अर्थात, भूत-प्रेत राछसो, पिशाच्स एव अप्सराओ का जिक्र दिखाई पडता है।
  4. जो मुझको यातुधान या राक्षस कहता है , जबकि मैं राक्षस नहीं हूं , और जो राक्षसों के साथ होने पर भी स्वयं को पवित्र कहता है ऐसे दोनों प्रकार के मनुष्यों का नाश हो |
  5. पूर्व से प्रत्येक दिशा में क्रमशः दो गन्धर्वों , दो ऋतुओं , दो अप्सराओं , दो राक्षस , दो महानाग , दो यातुधान और दो ऋषियों तथा ईशान में सूर्य एवं नवग्रह का अलग-अलग पंचोपचार पूजन करें।
  6. शङ्खश्रेष्ठ ! आप भगवान् श्रीकृष्ण के फूँकने से भयंकर शब्द करके मेरे शत्रुओं का दिल दहला दीजिये एवं यातुधान , प्रमथ , प्रेत , मातृका , पिशाच तथा ब्रह्मराक्षस आदि भयावने प्राणियों को यहाँ से तुरन्त भगा दीजिये ।।
  7. यदि कोई राक्षस ( जिन्हे वेदों में यातुधान वा हिँसक के नाम से पुकारते हुए अत्यन्त निन्दनीय बतलाया गया है) ऎसा दुष्कर्म करते होंगें-जैसा कि प्रत्येक समय में अच्छे-बुरे व्यक्ति कम या अधिक मात्रा में होते ही हैं, तो उनके इस कार्य को किसी प्रकार भी शिष्टानुमोदित नहीं माना जा सकता.
  8. यदि कोई राक्षस ( जिन्हे वेदों में यातुधान वा हिँसक के नाम से पुकारते हुए अत्यन्त निन्दनीय बतलाया गया है ) ऎसा दुष्कर्म करते होंगें-जैसा कि प्रत्येक समय में अच्छे-बुरे व्यक्ति कम या अधिक मात्रा में होते ही हैं , तो उनके इस कार्य को किसी प्रकार भी शिष्टानुमोदित नहीं माना जा सकता .
  9. अब जो निचली श्रेणी के असुर हैं उनमें राक्षस , यातुधान ( जातुधान ) और सबसे क्रूरकर्मी पिशाच रहे हैं जो नरमांस खाने वाले हैं -रामयुग के राक्षसों में ऋषि मुनियों के मांस भक्षी यही राक्षस थे जिनका समूल नाश श्री राम ने किया , ज्ञात हो राम आर्य वंश के प्रतिनिधि हैं .
  10. अब जो निचली श्रेणी के असुर हैं उनमें राक्षस , यातुधान ( जातुधान ) और सबसे क्रूरकर्मी पिशाच रहे हैं जो नरमांस खाने वाले हैं -रामयुग के राक्षसों में ऋषि मुनियों के मांस भक्षी यही राक्षस थे जिनका समूल नाश श्री राम ने किया , ज्ञात हो राम आर्य वंश के प्रतिनिधि हैं .
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