योग-दर्शन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- योग-दर्शन में प्रत्यय एकतानता को ध्यान कहते हैं और वेदान्त में वही निदिध्यासन है।
- इसी प्रकार पतंजलि ऋषि ने ‘पातंजल योग-दर्शन ' में सफल व्यवहार के चार सिद्धांत बताये हैं:
- योग-दर्शन के पाद 2 सूत्र 30 में यम के सम्बन्ध में बताया गया है-अहिंसा सत्यास्तेय ब्रह्मचय्यार्परिग्रहा यमाः ।
- ' तृष्णा ' को रेखांकित करने के लिए योग-दर्शन में ' अपरिग्रह ' का नाम दिया गया है ।
- कहते हैं-“नास्ति सांख्य समं ज्ञानम” कालांतर में पतंजलि ने जो योग-दर्शन दिया वह भी सांख्य की अवधारणा पर स्थित है।
- आज के सभी उन्नत पाश्चात्य देशों में महर्षि पतंजलि के योग-दर्शन के अनेक सूत्रों पर अनेकानेक वैज्ञानिक परीक्षण हो रहे हैं।
- 5 . तत्त्व चिंतन : छायावादी कविता में अद्वैत-दर्शन , योग-दर्शन , विशिष्टाद्वैत-दर्शन , आनंदवाद आदि के अंतर्गत दार्शनिक चिंतन भी मिलता है।
- 5 . तत्त्व चिंतन : छायावादी कविता में अद्वैत-दर्शन , योग-दर्शन , विशिष्टाद्वैत-दर्शन , आनंदवाद आदि के अंतर्गत दार्शनिक चिंतन भी मिलता है।
- कहते हैं- “ नास्ति सांख्य समं ज्ञानम ” कालांतर में पतंजलि ने जो योग-दर्शन दिया वह भी सांख्य की अवधारणा पर स्थित है।
- प्रथम खंड में योग-दर्शन और उद्देश्य की सारगर्भित प्रस्तुति के साथ सभी प्रमुख आसनों , बन्ध, प्राणायाम और ध्यान का सचित्र निरूपण किया गया है।