रक्तार्बुद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आचार्य सुश्रुत , आचार्य चरक व त्रिष्ठाचार्य के मतानुसार कुष्ठ , उदररोग ,, गुदरोग , उन्माद , अपस्मार , पंगुता , भगन्दर , प्रमेह , अन्धता , अर्श , पक्षाघात , देह्क्म्प , अश्मरी , संग्रहणी , रक्तार्बुद , कान व वाणी दोष इत्यादि रोग , परस्त्रीगमन , ब्रहम हत्या , पर धन अपहरण , बालक-स्त्री-निर्दोष व्यक्ति की हत्या आदि दुष्कर्मों के प्रभाव से उत्पन्न होते हैं ।
- आचार्य सुश्रुत , आचार्य चरक व त्रिष्ठाचार्य के मतानुसार कुष्ठ , उदररोग ,, गुदरोग , उन्माद , अपस्मार , पंगुता , भगन्दर , प्रमेह , अन्धता , अर्श , पक्षाघात , देह्क्म्प , अश्मरी , संग्रहणी , रक्तार्बुद , कान व वाणी दोष इत्यादि रोग , परस्त्रीगमन , ब्रहम हत्या , पर धन अपहरण , बालक-स्त्री-निर्दोष व्यक्ति की हत्या आदि दुष्कर्मों के प्रभाव से उत्पन्न होते हैं ।
- इसी प्रकार शुक्र यदि नवांश में बुध के साथ , बुध की राशि तथा द्वादशांश में मंगल या शनि की राशि में हो तो अस्थि अर्बुद , त्रिशांश में हो तो वसार्बुद ( कैंसर ) , षोडशांश में हो तो रक्तार्बुद या रक्त कर्कट - जिसे चिकित्सा विज्ञान की वर्त्तमान भाषा में “ एड्स ” कहा जाता है , तथा दशांश में वक्री शनि या मंगल के साथ हो तो कुब्ज ( Carbuncle ) या कुबडापन होता है।