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वृषोत्सर्ग का अर्थ

वृषोत्सर्ग अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. वृषोत्सर्ग सम्बन्धी पद्धतियों के अनुसार इस समय उस सांड के साथ एक गाय को भी चुनकर उन दोनों को अलंकृत किया जाना चाहिए।
  2. ग्यारहवें दिन दूसरे घाट में जाकर स्नान करके मृतशय्या पुन : नूतन शय्यादान की विधि पूर्ण करके वृषोत्सर्ग होता है , यानि एक बैल के चूतड़ को दाग देते हैं ।
  3. यहाँ तक कि अब अंतिम संस्कार से जुड़े एक अनिवार्य से रहे अनुष्ठान - वृषोत्सर्ग को लोग अब भूलते जा रहे हैं जिसमें वृषभ ( बैल ) की बलि दी जाती है ...
  4. काम्य कार्य का आरंभ वृषोत्सर्ग , पर्वोत्सव , उपाकृति , मेखला , चैल , माङगल्य , अग्न्याघान , उद्यापन कर्म , वेदव्रत , महायान , अभिषेक वर्द्धमानक , इष्ट कर्म नहीं करना चाहिए।
  5. इस संदर्भ में यह भी उल्लेख्य है कि स्री मृतक की स्थिति में “ वृषोत्सर्ग ' अनुष्ठान में वृषभ नहीं , अपितु एक अचिंहित सवत्सा गौ को अलंकृत करके पुरोहित को दान कर दिया जाता है।
  6. मृतात्मा की समस्त इच्छाओं की पूर्ति के निमिŸा वृषोत्सर्ग अवश्य करें लेकिन यदि पति तथा पुत्र वाली सौभाग्यवती स्त्री पति से पूर्व मृत्यु को प्राप्त हो जाए तो उसके निमिŸा वृषोत्सर्ग न करें , बल्कि दूध देने वाली गाय का दान करना चाहिए।
  7. मृतात्मा की समस्त इच्छाओं की पूर्ति के निमिŸा वृषोत्सर्ग अवश्य करें लेकिन यदि पति तथा पुत्र वाली सौभाग्यवती स्त्री पति से पूर्व मृत्यु को प्राप्त हो जाए तो उसके निमिŸा वृषोत्सर्ग न करें , बल्कि दूध देने वाली गाय का दान करना चाहिए।
  8. उस मणिकर्णिका तीर्थ में स्नान , सन्ध्या , जप , हवन , पूजन , वेदाध्ययन , तर्पण , पिण्ड दान , दशमहादान , कन्यादान , अनेक प्रकार के यज्ञों , व्रतोद्यापन [ 2 ] वृषोत्सर्ग तथा शिवलिंग स्थापना आदि शुभ कर्मों का फल मोक्ष के रूप में प्राप्त होवे।
  9. अधिमास ( मलमास ) में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए गंगाचार्य जी का कहना है कि अग्न्याधान , प्रतिष्ठा , यज्ञ , दान , व्रतादि , वेदव्रत , वृषोत्सर्ग , चूड़ा कर्म , व्रत बंध , देव तीर्थों में गमन विवाह , अभिषेक यान और घर के काम अर्थात गृहारंभादि कार्य अधिमास में नहीं करना चाहिए।
  10. अधिमास ( मलमास ) में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए गंगाचार्य जी का कहना है कि अग्न्याधान , प्रतिष्ठा , यज्ञ , दान , व्रतादि , वेदव्रत , वृषोत्सर्ग , चूड़ा कर्म , व्रत बंध , देव तीर्थों में गमन विवाह , अभिषेक यान और घर के काम अर्थात गृहारंभादि कार्य अधिमास में नहीं करना चाहिए।
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