व्यान वायु का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस प्रकार व्यान वायु के द्वारा संपूर्ण चेष्टाएँ होती है और शरीर में रस का संवहन होता है ।।
- ८- व्यान वायु , जो बात दोष का एक भेद है, सामान्य से अधिक अवस्था में पाया जाता है /
- प्राण , अपान , समान , उदान और व्यान वायु के दोषों का परिष्कार अपान मुद्रा से किया जा सकता है।
- अथवा सर्वरक्षक परमात्मा के स्मरणपूवर्क , द्युलोकस्थानीय सूर्य के लिए और व्यान वायु की शुद्धि के लिए यह आहुति प्रदान करता हूँ।
- सामान्य अवस्था में उदान वायु प्राण वायु को समान वायु से पृथक कर व्यान वायु से संगम कराने का कार्य करती है।
- अथवा सर्वरक्षक परमात्मा के स्मरणपूवर्क , द्युलोकस्थानीय सूर्य के लिए और व्यान वायु की शुद्धि के लिए यह आहुति प्रदान करता हूँ।
- वह व्यान वायु के द्वारा सम्पूर्ण शरीर में भ्रमित होता है और सर्व शरीर में भ्रमण करता हुआ वह सभी धातुओं का तर्पण करता है ।।
- प्राण हृदय में , अपान गुदा में समान नाभिदेश में , उदान कण्ठ में और व्यान वायु सम्पूर्ण शरीर में निवास करते हुये अपना अपना कार्य करती हैं।
- अन्तिम उपवायु धनंजय व्यान वायु की भाँति सर्वव्यापी है और मृत्यु के बाद भी कुछ समय तक शरीर से चिपकी रहती है - न जहाति मृतं वापि सर्वव्यापी धनंजय।
- ४ - व्यान वायु- व्यान वायु को सर्वशरीर व्यापी बताया गया है और इसके द्वारा मुख्य रूप से शरीर में रस के संवहन का कार्य किया जाता है ।।