शाकद्वीप का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्रतिमा से ही सांब को जानकारी मिलती है कि मेरा यह रूप कल्पवृक्ष के द्वारा शाकद्वीप में निर्मित हुआ है।
- सूर्योपासना की विधि के लिये ही सांब ने उन्हें शाकद्वीप से जंबुद्वीप में लाया और वे यहाँ आकर बस गये।
- इसी क्रम में शाकद्वीप , उसमें रहने वाले चार वर्ण , उनकी श्रद्धा , ब्राह्मणों के महत्त्व की संक्षिप्त चर्चा होती है।
- मगों के यहाँ पांडुलिपियों की प्रचुरता का कारण 27 . हर्षवर्धन एवं गुप्तकालीन आव्रजन-प्रव्रजन 28 . शाकद्वीप एवं जंबुद्वीप की भौगोलिक स्थिति 29 .
- मगों के यहाँ पांडुलिपियों की प्रचुरता का कारण 27 . हर्षवर्धन एवं गुप्तकालीन आव्रजन-प्रव्रजन 28 . शाकद्वीप एवं जंबुद्वीप की भौगोलिक स्थिति 29 .
- इसमें हेराडोटस जैसे लेखकों ने जो कि भारत की अपेक्षा शाकद्वीप के जाटों से अधिक परिचित तथा सहमत हो कर यह भूल अवश्य की है कि जाट और राजपूतों की जन्म-भूमि भारत के बजाय ईरान अथवा आल्पस के किनारे को माना।
- वे द्वीप एस प्रकार से हैं : - # जम्बूद्वीप # प्लक्षद्वीप # शाल्मलद्वीप # कुशद्वीप # क्रौंचद्वीप # शाकद्वीप # पुष्करद्वीप ये सातों द्वीप चारों ओर से क्रमशः खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधि, दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं।
- भीष्म पर्व में कुरुक्षेत्र में युद्ध के लिए सन्नद्ध दोनों पक्षों की सेनाओं में युद्धसम्बन्धी नियमों का निर्णय , संजय द्वारा धृतराष्ट्र को भूमि का महत्व बतलाते हुए जम्बूखण्ड के द्वीपों का वर्णन, शाकद्वीप तथा राहु, सूर्य और चन्द्रमा का प्रमाण, दोनों पक्षों की सेनाओं का आमने-सामने होना, अर्जुन के युद्ध-विषयक विषाद तथा व्याहमोह को दूर करने के लिए उन्हें उपदेश (श्रीमद्भगवद्गीता), उभय पक्ष के योद्धाओं में भीषण युद्ध तथा भीष्म के वध और शरशय्या पर लेटकर प्राणत्याग के लिए उत्तरायण की प्रतीक्षा करने आदि का निरूपण है।
- भीष्म पर्व में कुरुक्षेत्र में युद्ध के लिए सन्नद्ध दोनों पक्षों की सेनाओं में युद्धसम्बन्धी नियमों का निर्णय , संजय द्वारा धृतराष्ट्र को भूमि का महत्व बतलाते हुए जम्बूखण्ड के द्वीपों का वर्णन, शाकद्वीप तथा राहु, सूर्य और चन्द्रमा का प्रमाण, दोनों पक्षों की सेनाओं का आमने-सामने होना, अर्जुन के युद्ध-विषयक विषाद तथा व्याहमोह को दूर करने के लिए उन्हें उपदेश (श्रीमद्भगवद्गीता), उभय पक्ष के योद्धाओं में भीषण युद्ध तथा भीष्म के वध और शरशय्या पर लेटकर प्राणत्याग के लिए उत्तरायण की प्रतीक्षा करने आदि का निरूपण है।
- भीष्म पर्व में कुरुक्षेत्र में युद्ध के लिए सन्नद्ध दोनों पक्षों की सेनाओं में युद्धसम्बन्धी नियमों का निर्णय , संजय द्वारा धृतराष्ट्र को भूमि का महत्व बतलाते हुए जम्बूखण्ड के द्वीपों का वर्णन, शाकद्वीप तथा राहु , सूर्य और चन्द्रमा का प्रमाण, दोनों पक्षों की सेनाओं का आमने-सामने होना, अर्जुन के युद्ध-विषयक विषाद तथा व्याहमोह को दूर करने के लिए उन्हें उपदेश (श्रीमद्भगवद्गीता ), उभय पक्ष के योद्धाओं में भीषण युद्ध तथा भीष्म के वध और शरशय्या पर लेटकर प्राणत्याग के लिए उत्तरायण की प्रतीक्षा करने आदि का निरूपण है।