शीत लहरी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जिनकी मेहनत से निर्मित , हम सोते महल, मकानों में,खुले गगन के नीचे खुद, सर्दी, गर्मी, बरसात बिताएं॥ बोलो देश........माघ-पूष में जुटे खेत में, जो नित ठण्ड शीत लहरी में,तर-तर चुए पसीना तन से, जेठ की तपती दो पहरी में।
- आईसीएआर ने महाराष्ट्र में एबायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना की है ताकि कृषि में विभिन्न प्रकार की समस्याओं ( सूखा , शीत लहरी , बाढ़ , खारापन , अम्लीयता , और पोषण संबंधी गड़बडि़यों आदि ) का हल निकाला जा सके।
- आईसीएआर ने महाराष्ट्र में एबायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना की है ताकि कृषि में विभिन्न प्रकार की समस्याओं ( सूखा , शीत लहरी , बाढ़ , खारापन , अम्लीयता , और पोषण संबंधी गड़बडि़यों आदि ) का हल निकाला जा सके।
- शीत लहरी की लघु पेंगो पर तुम आती हो , फिर जाती हो , आगमन का मन है इसका निश्चय क्यों न कर पाती हो ? विडम्बना है और ये विदित है तुमको कि जब फिर से तुम आओगी , मुझको एक बार पुनः तुम अपने से दूर भागता ही पाओगी।
- इन उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए संभाग ने अजैविक दबाव प्रबंधन ( सूखा, शीत लहरी, बाढ़, लवणता, क्षारीयता, अम्लीयता और पोषण में कमियां आदि) जलवायु अनुकूल कृषि, संरक्षण कृषि - जैविक खेती, मृदा और जल का जैव उपचार, बायोफोर्टिफिकेशन, जैवईंधन, जैव-उद्योग जलसंभर और सूक्ष्म स्तरीय भूमि उपयोग नियोजन के लिए विकास आदि की अनुसंधान प्राथमिकताएं तय की हैं।
- एक अदृश्य शक्ति जो समय के साथ मिलकर हमारे प्रारब्ध को तरह-तरह से बनाती विगाड़ती और हम वर्तमान की चौखट पर खड़े होकर देखते निर्माण और विध्वंस हम अभावों की शीत लहरी में निरुपाय भीतर जलती आक्रोश ज्वाला में अपने हाथ सेंकते रहे मांगते रहे अपना दाय ऐसे में वर्तमान को शीघ्रता से जाते देखा लिखी जाती रही अनवरत भाग्य लेखा।
- कभी सोते मे सपनों के सतरंगी समुंदर मे कभी कुछ कहते हुए कभी कुछ सुनते हुए किसी को हँसते देख कर गम से रोते देख कर कलियों को खिलते देख कर मुरझाए फूलों को देख कर हँसते शिशुओं को देख कर सड़क पर चलते हुए हवा मे उड़ते हुए कहीं काम पर पसीना बहाते मजदूरों को देख कर शीत लहरी मे ठिठुरते हुए मांस के पुतलों को देख कर और न जाने कब कब वक़्त बे वक़्त कुछ ख्याल अक्सर मन मे आते हैं
- कभी गौर कीजिये उन गरीब और निर्बल लोगों पर जो अपनी आजीविका सड़कों के किनारे रेडी लगा कर करते हैं , ५ ० पैंसे से लोगों की प्यास बुझाने से करते हैं , जून की दोपहरी हो या जनवरी की शीत लहरी , रिक्शा खींच कर अपने और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं और जब इन्हीं लोगों पर पुलसिया डंडा और यहाँ तक कि लात , थप्पड़ और घूसें पड़ते हैं तो उनकी आत्मा क्या कहती होगी , इसकी हम लोग केवल कल्पना ही कर सकते हैं .
- उम्मीदों के गुज़र जाने के मौसम में यहाँ-वहाँ दुबारा छला गया उसे हर किस्म की कोशिश में जहाँ मुक़म्मल होने थे सारे सपने जहाँ दुबारा नाकारा गया उन्हें वहाँ मुड़कर देखते हुए दुबारा सब कुछ को बड़ी-बड़ी दुकानों को जिनके इर्द-गिर्द बुने गये हजारों जाले सपनों के , युद्ध के हिंसा के वहाँ मुड़कर देखना सब कुछ को भयानक शीत लहरी के बाद की धूप में जिन्होंने किया हो , सूरज के यूँ निकलने का इंतजार वो कर सकते हैं सवाल लेकिन , गूंजता है खालीपन सवाल का एक भयानक नरसंहार के बाद।