संदूकड़ी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यद्यपि कई ऐसे कारण हो गये हैं जिनसे आप कहेंगे कि यह संदूकड़ी तुम्हें नहीं दी जायगी मगर फिर भी मैं इसी समय इस पर कब्जा कर सकता हूं क्योंकि देवीसिंहजी मुझसे प्रतिज्ञा कर चुके हैं कि संदूकड़ी बंद की बंद तुम्हें दिला दूंगा।
- यद्यपि कई ऐसे कारण हो गये हैं जिनसे आप कहेंगे कि यह संदूकड़ी तुम्हें नहीं दी जायगी मगर फिर भी मैं इसी समय इस पर कब्जा कर सकता हूं क्योंकि देवीसिंहजी मुझसे प्रतिज्ञा कर चुके हैं कि संदूकड़ी बंद की बंद तुम्हें दिला दूंगा।
- इतना कहकर भूतनाथ ने वह संदूकड़ी अपने बटुए में रख ली और पुनः हाथ जोड़कर महाराज से बोला , '' महाराज , मैं वादा कर चुका हूं कि अपना हाल सच-सच बयान करूंगा , परंतु मेरा हाल बहुत बड़ा और शोक , दुःख तथा भयंकर घटनाओं से भरा हुआ है।
- भूत - हां ठीक है , खैर अब उसके बारे में कुछ न पूछूंगा , जो कुछ पूछूंगा वह तुम्हारे और हरनाम ही के बारे में होगा , अच्छा एक बात और बताओ , आज के दरबार में मैंने हरनाम को हाथ में एक संदूकड़ी लिए देखा था , वह संदूकड़ी कैसी थी और उसमें क्या था
- भूत - हां ठीक है , खैर अब उसके बारे में कुछ न पूछूंगा , जो कुछ पूछूंगा वह तुम्हारे और हरनाम ही के बारे में होगा , अच्छा एक बात और बताओ , आज के दरबार में मैंने हरनाम को हाथ में एक संदूकड़ी लिए देखा था , वह संदूकड़ी कैसी थी और उसमें क्या था
- इंद्र - अच्छा-अच्छा , जाने दो भूतनाथ ! अगर तुम्हें इस बात का शक है कि दलीपशाह बातें बनाकर कहेगा या उसके कहने का ढंग लोगों पर बुरा असर डालेगा तो मैं दलीपशाह को वह हाल कहने से रोक दूंगा और तुम्हारे ही हाथ की लिखी हुई तुम्हारी अपनी जीवनी पढ़ने के लिए किसी को दूंगा जो इस संदूकड़ी में बंद है।
- उस पीतल वाली संदूकड़ी से तो हम लोगों को कोई मतलब ही नहीं , हां बाकी रह गया चीठियों वाला मुट्ठा जिसके पढ़ने से भूतनाथ लक्ष्मीदेवी का कसूरवार मालूम होता है , सो उसका जवाब भूतनाथ काफी तौर पर दे देगा और साबित कर देगा कि वे चीठियां उसके हाथ की लिखी हुई होने पर भी यह कसूरवार नहीं है और वास्तव में वह बलभद्रसिंह का दोस्त है दुश्मन नहीं।
- यह संदूकड़ी मेरी बुराइयों से भरी हुई है , या यों कहिए कि यह मेरे भेदों का खजाना है , यद्यपि इसमें के कई भेद खुल चुके हैं , खुल रहे हैं और खुलते जायेंगे , तथापि इस समय इसे ज्यों-का-त्यों बंद पाकर मैं बराबर महाराज को दुआ देता हुआ यही कहूंगा कि मैं जी उठा , जी उठा ! अब मैं खुशी से अपनी जीवनी कहने और सुनने के लिए तैयार हूं और साथ ही इसके यह भी कह देता हूं कि अपनी जीवनी के संबंध में जो कुछ कहूंगा सच कहूंगा !