सहजन्या का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सहजन्या धुली चाँद्ननी मॅ शोभा मिट्टी की भी जगती है , कभी-कभी यह धरती भी कित्नी सुन्दर लगती है!
- - - सहजन्या कौन व्यथा उर्वशी भला पाएगी भू पर जाकर ? सुख ही होगा उसे वहाँ प्रियतम को कंठ लगाकर .
- सहजन्या तब तो अपर स्वर्ग मॅ ही तू उसको धर आई है , नन्दन वन को लूट ज्योति से भू को भर आई है.
- मेनका , रम्भा और सहजन्या का मानना है कि सुरलोक अमर है यहाँ के निवासियों को व्यंजनों की गंध लेकर ही तृप्त होना पड़ता है।
- फिर ट्राई किया तो तुकबंदी इकठ्ठा हो गई . आप झेलिये. ..................................................... रात का समय. आकाश मार्ग से जाती हुई मेनका, रम्भा, सहजन्या और चित्रलेखा पृथ्वी को देखकर आश्चर्यचकित हैं.
- “रात का समय . आकाश मार्ग से जाती हुई मेनका, रम्भा, सहजन्या और चित्रलेखा पृथ्वी को देखकर आश्चर्यचकित हैं....” यह क्या सिवजी धरती पर इस अंधेरी रात में अकेले चमक रहे हैं:)
- रीय आयोजक , अनिवार्य पात्र कंचुकी - सभासद - प्रतिहारी - प्रारब्ध आदि आयु - पुरुरवा-उर्वशी का पुत्र महामात्य - पुरुरवा के मुख्य सचिव विश्व्मना - राज ज्योतिषी नारी नटी - शास्त्रीय पात्री, सूत्रधार की पत्नी सहजन्या, रम्भा, मेनका, चित्रलेखा -
- सहजन्या सो जो हो . पर , प्राणॉ मॅ उसके जो प्रीत जगी है अंतर की प्रत्येक शिरा मॅ ज्वाला जो सुलगी है छोडेगी वह नही उर्वशी को अब देव निलय मॅ ले जायेगी खींच उसे उस नृप के बाहु-वलय मॅ
- सहजन्या लोप हुआ है जाल रश्मि का , है अँधेरा छाया रौनक सारी कहाँ खो गई, नहीं समझ में आया शापिंग माल में लाईट-वाईट नहीं दीखती न्यारी कार पार्किंग दिक्खे सूनी, सोती दुनिया सारी तुझे पता है रम्भे, क्या इसका हो सकता कारण?
- सहजन्या वाह तुम्हे ही ज्ञात नही है कथा प्राण प्यारी की ? तुम्ही नही जानती प्रेम की व्यथा दिव्य नारी की ? नही जानती हो कि एक दिन हम कुबेर के घर से लौत रही थी जब , इतने मॅ एक दैत्य ऊपर से टूटा लुब्ध श्येन सा हमको त्रास अपरिमित देकर और तुरंत उड गया उर्वशी को बाहॉ मॅ लेकर . - - रम्भा बाहॉ मॅ ले उड़ा ? अरी आगे की कथा सुना ओ.