सांस छोड़ना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आप अपराधबोध के साथ मरना पसंद करेंगे या उस भूल को भूलकर एक मकसदपूर्ण जीवन जीते जीते अंतिम सांस छोड़ना पसंद करेंगे , फैसला आपके हाथ में है।
- प्रकृति का ये नियम है कि हमारे शरीर में दिन-रात तेज गति से सांस लेना और सांस छोड़ना एक ही समय में नाक के दोनो छिद्रों से साधारणत : नही चलता।
- भर्स्तिका प्राणायाम ; ( यानि धीमे धीमे फेफड़े पूरे भरकर , फिर धीरे धीरे सांस छोड़ना ) , और अनुलोम विलोम प्राणायाम तो बहुत आसानी से किये जा सकते हैं .
- एक नाक के छिद्र का निश्चित समय पूरा हो जाने पर उससे सांस लेना और सांस छोड़ना बंद हो जाता है और नाक के दूसरे छिद्र से चलना शुरू हो जाता है।
- जिस समय स्त्री और पुरुष एक-दूसरे को चुम्बन करते हैं उस वक्त उनके सांस लेना और सांस छोड़ना , उनकी आंखों की रोशनी , शारीरिक ऊर्जा सब कुछ कोमल भावों और प्रभावों से व्याप्त रहता है तथा इन भावों प्रभावों का आदान-प्रदान स्त्री और पुरुष में होता है।
- हमेशा नकारात्मक भाव प्रकट करना , घर-गृहस्थी और बच्चों के प्रति उदासी , आत्महत्या करने की इच्छा करना , जीवन के प्रति उदास हो जाना , संसार की कोई भी चीज अच्छी न लगना , हंसते-हंसते चुप होकर सोचने लग जाना , अकेले रहना , गहरी सांस छोड़ना , चुपचाप रहना आदि चित्तभ्रम रोग के लक्षण हैं।
- श्री श्री रविशंकर : जीवन में आसक्ति और अनासक्ति , दोनों आवश्यक हैं | सामान्यतः हम सोचते हैं , “ यदि मैं जोशीला हूँ तो मैं आसक्त कैसे हो सकता हूँ ? यदि मैं जीवन में आसक्त हो जाऊँगा तो किसी भी काम के लिए जोश कैसे ला पाऊंगा ? ” लोगों के मन की सामान्य धारणा यही है | मैं आपसे कहता हूँ , ऐसा नहीं है | यह ऐसा है कि सांस लेना मानो जोश है , और सांस छोड़ना आसक्ति और इन दोनों के बीच में है सहानुभूति | आपको तीनों की आवश्यकता है |
- जब आप पीठ को उठाते हैं और घुमते हैं उस समय सांस छोड़ना होता है और जब कमर को झुकाते हैं तब सांस लेते हैं . इस आसन के अभ्यास के समय शरीर को कड़ा नहीं करना चाहिए.शरीर को जितना लचीला और सहज बनाये रखेंगे उतना की अच्छा होगा.आसन के क्रम में रीढ़ की हड्डियो में पर्याप्त खिंचाव हो इसका ध्यान रखना चाहिए.इस अवस्था में कमर और गर्दन के पार्श्व भाग में दबाव नहीं हो इसका ध्यान रखना चाहिए.जब आप कमर को उठाते हैं और पीठ को घुमाते हैं उस समय समय कंधे तनाव रहित हों इसका ख्याल रखना चाहिए.
- रोगी को अपने शरीर में बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होना , सिर का भारी सा लगना , हर समय नींद सी छाए रहना , नाड़ी का कमजोर होना , पेट में कब्ज बनना लेकिन मलक्रिया के दौरान मल का सख्त न होना , पेशाब का अपने आप ही निकल जाना , पेट से लेकर छाती तक भारी सा महसूस होना जिसके कारण बार-बार लंबी-लंबी सांस छोड़ना , हृत्पिण्ड की क्रिया कमजोर हो जाना और गर्म औषधियों से दर्द कम हो जाना आदि लक्षण रोगी में दिखाई दें तो रोगी को ऐपोसाइनम औषधि के मदरटिंचर देने से लाभ मिलता है।