सौति का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ( आदि पर्व, 1,78) इसके बहुत काल बाद उग्रश्रवा सौति ने इसमें लगभग तीन गुने श्लोक और जोड़ दिए और इसका नाम बदल कर ‘महाभारत‘ हो गया।
- इसी कारण व्यासजी ने सारी राजनीति का उपदेश भीष्म के मुँह से ही दिलवाया है और सौति ने भी तत्त्वज्ञान का उपदेश उन्हीं से दिलवाना ठीक समझा।
- हरिन डिठौना स्याम सुख सील बरषत , करषत सोक , अति तिमिर बिदारो है श्रीपति बिलोकि सौति बारिज मलिन होत , हरषि कुमुद फूलै नंद को दुलारो है।
- सन्देश पाकर उसकी पत्नी बिलख उठती है - ” देखि मूँदरा रोइयौ ढोला ठाडे से खाति पछार , मेरी तू सौति उडिनिया मेरे ढोला के लए हैं पिरा न. .. ।
- ( आदि पर्व , 1,78 ) इसके बहुत काल बाद उग्रश्रवा सौति ने इसमें लगभग तीन गुने श्लोक और जोड़ दिए और इसका नाम बदल कर ‘ महाभारत ‘ हो गया।
- इन महाकाव्यों के पश्चात् ‘ पुराणों का स्थान है जो संख्या में अठारह हैं और जो सूत लोमहर्षण अथवा इनके पुत्र ( सौति ) उग्रश्रवस द्वारा ‘ कथिक ' माने जाते हैं 1 ।
- वैदिक काल में मूर्ति पूजा रही होगी मुझे नहीं लगता -यह बहुत बाद का डेवेलपमेंट लगता है , गीता भी उपनिषदों के बहुत बाद की - महाकाव्य काल - सौति कृत महाभारत-सृजन काल की रचना है !
- इसी के लिएमहाभारत के परिशिष्ट के तौर पर सौति ने हरिवंश की रचना की जिसमें वैवस्वत मनु से सृष्टि की कथा शुरू करते हुएभगवान विष्णु के अवतारों की महिमा बताई गई है जिसमें द्वापर में विष्णु के कृष्णावतार का ही बखान है।
- इसी के लिए महाभारत के परिशिष्ट के तौर पर सौति ने हरिवंश की रचना की जिसमें वैवस्वत मनु से सृष्टि की कथा शुरू करते हुए भगवान विष्णु के अवतारों की महिमा बताई गई है जिसमें द्वापर में विष्णु के कृष्णावतार का ही बखान है।