६वीं का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भास्कर न्यूज - ! - नूरमहलगांव उप्पल खालसा में ६वीं छिंज शहीद ए आजम भगत सिंह छिंज कमेटी की तरफ से करवाई गई।
- प्रारम्भ में बच्चों को भ्रम की स्थिति से निकाल कर भाषा और भाव ज्ञान कराना चाहिये और दूसरी भाषा ६वीं कक्षा के बाद ही सिखानी चाहिये ।
- छत्तीसगढ़के प्राचीन इतिहास में ५वीं भाताब्दी के अंतिम चरण और ६वीं भाताब्दी के प्रारंभ में दक्षिण कोसल में भारभवं श का उदय हुआ था जिसकी राजधानी भारभपुर में थी।
- जब इसने दार्जलिंग को भारतीय संविधान की ६वीं अनुसूची के अंतर्गत लाना चाहा तो जीएनएलएफ और विमल गुरांग के बीच दरार पड़ गई और विमल ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा बना लिया।
- यह शासकीय दस्तावेज होता था और इन्हे चूंकि सार्वजनिक रूप से दिया जाता था , इसलिए यह हमेशा ‘खुले' रहते थे।यूरोप में ६वीं शताब्दी में से इस तरह के पत्र दिये जाते थे।
- मौके पर आदिवासी क्षेत्र में ५वीं व ६वीं अनुसूची लागू होते हुए भी उसका पालन नहीं करने , सेज कानून लागू करके शासक जाति उद्योग पतियों के लिए निर्दोष आदिवासियों की जमीन झूठे विकास के नाम पर...
- परिवार- पत्नी व दो बेटे बड़ा बेटा केन्द्रीय विद्यालय में १०वीं कक्षा में छोटा ६वीं कक्षा में पत्नी- गृहणी सामाजिक- उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में सक्रिय वर्तमान में गढ़वाल की सबसे पुरानी संस्था- गढ़वाल हितैषिणी सभा , स्थापित- १९२३, के उपाध्यक्ष सदस्य- कादम्बिनी क्लब राज्य सभा, उत्तराखण्ड पत्रकार संघ अभिरूचि - लेखन तथा घूमना विशेष- हिन्दी में एक कविता संग्रह मुझे मत मारो प्रकाशनाधीन, कन्याभ्रूण हत्या पर ।
- ( इन प्रतियोगिताओं में शीर्षक कुछ ऐसे होते थे: भारतीय राजनीति में धर्मं का हस्तक्षेप-कितना उचित/ अनुचित) ऐसे विषयों का ६वीं कक्षा में न तो सिर समझ आता था न पैर ..:) ८-१० पन्नों का १ झुंड हमें पकडा दिया जाता था......“बेटा, ये बोलना है....”...हम ख़ुशी ख़ुशी कर्तव्यपरायणता से उसे याद कर लेते थे....और किसी भी प्रतियोगिता में जाके.....मंडल/ जिले के हिंदी विद्वानों के सामने पूरे आत्मविश्वास एवं भावनाओं के साथ उगल दिया करते थे.....(
- मौके पर आदिवासी क्षेत्र में ५वीं व ६वीं अनुसूची लागू होते हुए भी उसका पालन नहीं करने , सेज कानून लागू करके शासक जाति उद्योग पतियों के लिए निर्दोष आदिवासियों की जमीन झूठे विकास के नाम पर जबरदस्ती छीन लेने, छग में आदिवासियों का स"ाा प्रतिनिधित्व नहीं होने से उनकी समस्या लगातार बढने, आरक्षण नीतियों को संवैधानिक तरीके से लागू नहीं करने की वजह से आदिवासी समाज में बेरोजगारी और भूखमरी बढने, आजादी के ६५ साल बाद भी आदिवासी समाज व उनके क्षेत्र को मूलभूत सुविधा उपलब्ध न कराने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
- मौके पर आदिवासी क्षेत्र में ५वीं व ६वीं अनुसूची लागू होते हुए भी उसका पालन नहीं करने , सेज कानून लागू करके शासक जाति उद्योग पतियों के लिए निर्दोष आदिवासियों की जमीन झूठे विकास के नाम पर जबरदस्ती छीन लेने, छग में आदिवासियों का स\"ाा प्रतिनिधित्व नहीं होने से उनकी समस्या लगातार बढने, आरक्षण नीतियों को संवैधानिक तरीके से लागू नहीं करने की वजह से आदिवासी समाज में बेरोजगारी और भूखमरी बढने, आजादी के ६५ साल बाद भी आदिवासी समाज व उनके क्षेत्र को मूलभूत सुविधा उपलब्ध न कराने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।