अँधेरा कमरा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सारे कॉम्बिनेशन सही हैं धूसर सी साँझ . .. अँधेरा कमरा ... ये उदास मन ..... और काली कॉफी!! वाह...वाह......!! रश्मि जी बधाईयाँ ...... पहली ही कविता और इतनी जोरदार ...... बल्ले बल्ले .....!!
- दूसरा कमरा बीमार कैदियों के लिए था , तीसरे कमरे में पुराने और बिगड़े हुए खतरनाक कैदी थे.कमरा नम्बर चार अँधेरा कमरा था जहाँ सजा देने के लिए कैदियों को अँधेरे में रखा जाता है.
- कुल एक अँधेरा कमरा है जहाँ कितने भी दीपक जला दो अँधेरा बना ही रहता है और बनी रहती है इस कमरे को रोशन करने की फ़िकर जो मुसलसल रेंगती चली जाती है एक पीढ़ी से अंतिम पीढ़ी तक
- अंदर पानी का नल भी नहीं है . दूसरा कमरा बीमार कैदियों के लिए था, तीसरे कमरे में पुराने और बिगड़े हुए खतरनाक कैदी थे.कमरा नम्बर चार अँधेरा कमरा था जहाँ सजा देने के लिए कैदियों को अँधेरे में रखा जाता है.
- जब आधे घंटे बाद डॉक्टर चला गया , तो उसने मुझे टेस्ट के लिए बुलाया , वो अँधेरा कमरा था इसीलिए कुछ दिखाई नहीं दे रहा था , बस उस मशीन से जो प्रकाश आ रहा था उसमें मुझे वो दिख रही थी।
- उसके कई शेड्स और रंगों में एक रंग है ‘ धूसर सी सांझ . .. अँधेरा कमरा ... ये उदास मन ..... और काली कॉफी ..... का। ' ताज़ा बिम्बों-प्रतीकों-संकेतों से युक्त आपकी भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम भर नहीं , जीवन की तहों में झांकने वाली आंख है।
- उसके कई शेड्स और रंगों में एक रंग है ‘ धूसर सी सांझ . .. अँधेरा कमरा ... ये उदास मन ..... और काली कॉफी ..... का। ' ताज़ा बिम्बों-प्रतीकों-संकेतों से युक्त आपकी भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम भर नहीं , जीवन की तहों में झांकने वाली आंख है।
- उसके कई शेड्स और रंगों में एक रंग है ‘ धूसर सी सांझ . .. अँधेरा कमरा ... ये उदास मन ..... और काली कॉफी ..... का। ' ताज़ा बिम्बों-प्रतीकों-संकेतों से युक्त आपकी भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम भर नहीं , जीवन की तहों में झांकने वाली आंख है।
- कविता से ज्यादा दोस्ती है अपनी , इसलिए पहले यहाँ आना ही था... :) “धूसर सी साँझ ... अँधेरा कमरा ... ये उदास मन ..... और काली कॉफी!! ” “थोड़ी सी बची उजास भी हड़प ली छुप गए उजाले नाराज़ होकर” ऐसी साँझ की तलब भी कभी कभी अधिक ही होती है शायद..
- कविता से ज्यादा दोस्ती है अपनी , इसलिए पहले यहाँ आना ही था... :) “धूसर सी साँझ ... अँधेरा कमरा ... ये उदास मन ..... और काली कॉफी!! ” “थोड़ी सी बची उजास भी हड़प ली छुप गए उजाले नाराज़ होकर” ऐसी साँझ की तलब भी कभी कभी अधिक ही होती है शायद..