अकारत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- और जो लोग काफ़िर हैं उनके लिए तबाही है और इनके आमल को अल्लाह तअला ज़ाया कर देगा , ये इस सबब से हुवा कि उन्हों ने अल्लाह के उतारे हुए हुक्म को ना पसंद किया , सो अल्लाह ने उनके आमाल को अकारत किया . ”
- और रिआया के साथ नेकी कर के कई एहसान न जताना , और जो उन के साथ हुस्त्रे सुलूक ( सद ब्यवहार ) करना उसे ज़ुयादा न समझना , और उन के वअदा कर के बाद में वअदा खिलाफ़ी न करना क्यों कि एहसान जताना नेकी को अकारत कर देता है।
- हदीस शरीफ में है , सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने सहाबए किराम से फ़रमाया , वह दरख़्त बताओ जो मूमिन की तरह है , उसके पत्ते नहीं गिरते और हर वक़्त फल देता है ( यानी जिस तरह मूमिन के अमल अकारत नहीं होते ) और उसकी बरकतें हर वक़्त हासिल रहती हैं .
- ( 3 ) क्योंकि कुफ़्र की हालत के कर्म मक़बूल नहीं , न मेहमानदारी न हाजियों की ख़िदमत , न क़ैदियों का रिहा कराना , इसलिये कि काफ़िर का कोई काम अल्लाह के लिये तो होता नहीं , लिहाज़ा उसका अमल सब अकारत है , और अगर वह उसी कुफ़्र पर मरजाए तो जहन्नम में उनके लिये हमेशा का अज़ाब है .
- तो उनका किया धरा सब अकारत है तो हम उनके लिए क़यामत के दिन कोई तौल न क़ायम करेंगे ( 6 ) { 105 } ( 6 ) हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रदियल्लाहो अन्हो ने फ़रमाया कि क़यामत के दिन कुछ लोग ऐसे कर्म लाएंगे जो उनके ख़याल में मक्कए मुकर्रमा के पहाड़ों से बड़े होंगे लेकिन जब वो तौले जाएंगे तो उनमें वज़न कुछ न होगा .
- आश्चर्य जनक बात यह है कि बहुत सारे लोग अतिप्रेम से बहुत कुछ इबादतें दीन के नाम पर करते हैं परन्तु उनकी यह कोशिश अकारत हो जाएगी और नेकियों की जगह गुनाहों से अपने दामन को भरते हैं , इस लिए हम सब को अपनी इबादतों के लिए चिंतन रहना चाहिये और केवल वही काम करना चाहिये जो सही हदीसों और नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत से प्रमाणित हो,
- रोका और रसूल की मुख़ालिफ़त ( विरोध ) की बाद इसके कि हिदायत उनपर ज़ाहिर हो चुकी थी वो हरगिज़ अल्लाह को कुछ नुक़सान न पहुंचाएंगे , और बहुत जल्द अल्लाह उनका किया धरा अकारत कर देगा ( 10 ) { 32 } ( 10 ) और वो सदक़े वग़ैरह किसी चीज़ का सवाब न पाएंगे क्योंकि जो काम अल्लाह तआला के लिये न हो , उसका सवाब ही क्या .
- आश्चर्य जनक बात यह है कि बहुत सारे लोग अतिप्रेम से बहुत कुछ इबादतें दीन के नाम पर करते हैं परन्तु उनकी यह कोशिश अकारत हो जाएगी और नेकियों की जगह गुनाहों से अपने दामन को भरते हैं , इस लिए हम सब को अपनी इबादतों के लिए चिंतन रहना चाहिये और केवल वही काम करना चाहिये जो सही हदीसों और नबी ( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) की सुन्नत से प्रमाणित हो ,
- और बेशक वही की गई तुम्हारी तरफ़ और तुम से अगलों की तरफ़ , कि ऐ सुनने वाले अगर तूने अल्लाह का शरीक किया तो ज़रूर तेरा सब किया धरा अकारत जाएगा और ज़रूर तू हार में रहेगा { 65 } बल्कि अल्लाह ही की बन्दगी कर और शुक्र वालों से हो ( 3 ) { 66 } ( 3 ) जो नेअमतें अल्लाह तआला ने तुझको अदा फ़रमाई उसकी ताअत बजा लाकर उनकी शुक्रगुज़ारी कर .
- सब काट दो बिस्मिल पौधों को बे-आब सिसकते मत छोड़ो सब नोच लो बेकल फूलों को शाख़ों पे बिलकते मत छोड़ो यह फ़स्ल उमीदों की हमदम इस बार भी ग़ारत जाएगी सब मेहनत सुबहों-शामों की अब के भी अकारत जाएगी खेती के कोनों खदरों में फिर अपने लहू की खाद भरो फिर मिट्टी सींचो अश्कों से फिर अगली रुत की फ़िक्र करो जब फिर इक बार उजड़ना है इक फ़स्ल पकी तो भर पाया जब तक तो यही कुछ करना है