अक्षि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पर पीड़ा अपनी हो पाये परमारथकर जग सरसाये अक्षि नीर मोती बन जाए तो ये धरा स्वर्ग कहलाये।
- अक्षि उपनिषद ने सर्वप्रथम भगवान सूर्य के उज्जवल स्वरूप तथा उनकी महिमा का विस्तार पूर्वक वर्णन मिलता है .
- तब कालाग्निरूद्र उनसे कहते हैं कि , रुद्र की अक्षि (आँखें) से उत्पन्न होने के कारण इसे रूद्राक्ष कहा गया
- अक्ष या अक्षि से ही बना है समक्ष ( सम + अक्ष ) जिसका अर्थ है आंखों के सामने।
- १ ४ -चतुर्दश मुखी रुद्राक्ष रूद्र की अक्षि से उत्पन्न हुआ , वह भगवान का नेत्र-स्वरुप है ! ”
- अक्षि उपनिषद में सूर्य वंदना एवं आंखों के विकारों से बचाव का सरल स्वरूप निर्धारित किया गया है .
- आंख शब्द बना है संस्कृत के अक्षि से जिसका मतलब होता है नेत्र , आंख की पुतली, दो की संख्या अथवा दृश्यमान।
- अक्षि उपनिषद की यह पंक्ति जो शांति मंत्र के रुप में जानी जाती है , एक प्रार्थना है , एक दुआ है।
- तब कालाग्निरूद्र उनसे कहते हैं कि , रुद्र की अक्षि ( आँखें ) से उत्पन्न होने के कारण इसे रूद्राक्ष कहा गया
- वेदों को जानने में सहायक बने उपनिषदों में एक नाम कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अंतर्गत आने वाले अक्षि उपनिषद का भी है .