अज्ञानपूर्ण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस पर अनुनाद सिंह जी ने बहुत तर्कसंगत उत्तर दिया : आपकी बाकी बातें ठीक हैं किन्तु यह कहना कि “ हिन्दी का इतिहास केवल सौ वर्ष पुराना है ” बहुत अज्ञानपूर्ण है।
- ३ - अज्ञानपूर्ण कथ्य - वेदों में अवतारवाद का सिद्धांत है , वेदों में परमात् मा के अवतार धारण करने का कहीं उल् लेख नहीं मिलता , पर गीता का यह एक प्रमुख सिद्धांत है ......
- एक हफ्ते के लिए यहाँ आये और आध्यात्म से सम्बन्ध महसूस करे फिर एक गुरु और परंपरा यह कहेगी , ‘ मैं कमजोर हूँ , यह बिलकुल स्वीकार योग्य नहीं है , यह अज्ञानपूर्ण वक्तव्य है |
- इसलिए जो लोग ऐसी कुकल्पना करते हैं कि ' जब मदारपुर के ब्राह्मण लोग भूमि को हार गए , तो उनका नाम भूमिहार पड़ा ' वह अज्ञानपूर्ण हैं क्योंकि व्याकरणादि भी इस अर्थ की पूर्वोक् त रीति से स्थान नहीं दे सकते।
- 2तिमुथियुस 22 : 23 में लिखा है “जवानी की अभिलाषाओं से भाग और जो लोग शुद्ध हृदय से प्रभु का नाम लेते है उनके साथ धार्मिकता विश्वास प्रेम और शान्ति का अनुसरण कर परन्तु मूर्ख और अज्ञानपूर्ण विवादों से यह जानकर अलग रह कि इनसे झगड़े उत्पन्न होते हैं।”
- ‘‘ तुम कहते हो कि तुम्हें केवल सत्य की चाह है , तो भी तुम एक ऐसे संकुचित और अज्ञानपूर्ण धर्मान्ध् व्यक्ति की भांति बातें करते हो , जो उस धर्म के सिवा , जिसमें वह पैदा हुआ था , और किसी भी वस्तु के मानने से इंकार करता है।
- अर्थात्- हे परमेश्वर , आपकी महिमा को कौन जान पाया है ! आप , जो इस सम्पूर्ण सृष्टि की व्युत्पत्ति के कारण व माध्यम हैं , को प्राप्त करने का एकमात्र माध्यम केवल आपके प्रति पूर्ण भक्ति व समर्पण है , हे प्रभु मेरी इस अज्ञानपूर्ण स्तुति को अपने क्षमाशीलता के स्वभाव से स्वीकार करें।
- वेदों और गीता का विषयगत विश् लेषण इस निर्णय पर ले जाता है कि ये दोनों धर्म ग्रंथ एक ही ' धर्म ' के नहीं हो सकते और नही इन का र चयिता एक ही तथाकथित परमात् मा हो सकता है- १ - अज्ञानपूर्ण कथ्य - वेदों में जगह जगह इच् छा और कामना पर बल दिया गया है-
- लोगों में अंधविश्वास सफलता के लिए बहूत बड़े बाधक सिद्ध होता है | मनुष्य जीवन पर्यन्त इस अज्ञानपूर्ण अंधविश्वास से चिंतित रहता है की कहीं उसे कोई धोखा न दे जाए | उसे वह ज्ञान नहीं होता की मनुष्य को स्वयं के सिवाए कोई दूसरा धोखा नहीं दे सकता , वास्तव में वह अपने ही मोह और भय के कारण धोखे में फंसता है |
- ८ - अज्ञानपूर्ण कथ्य - -न जाने कैसा विचित्र समय था और कैसे अज्ञानी लोग थे , ईश् वर को भी जानने वाला कोई नहीं था उसे अपना परिचय स् वयं कराना पडा , अपनी एक एक बात विस् तारपुर्वक बतानी पडी नीति तो यह बताती है कि अपने गुणों का स् वयं बखाने करने से इंद्र भी छोटा बन जाता है ' इंद्रोऽपि लघुतां याति स् वयं प्रख् यापितैर्गुणै '