अण्डज का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अण्डज योनि में तीन कलाओं के कारण अन्नमय , प्राणमय तथा मनोमय कोषों का विकास होता है।
- सबसे पहले अष्टांगी ने अण्डज - यानी अंडे से उत्पन्न होने वाले जीव खानि की रचना की ।
- यह अविनाशी जीव ( अण्डज, स्वेदज, जरायुज और उद्भिज्ज) चार खानों और चौरासी लाख योनियों में चक्कर लगाता रहता है॥2॥
- अण्डे में यदि जीव नहीं है तो अण्डज सृष्टि पक्षी , सर्प आदि की उत्पत्ति कैसे होती है ?
- यह प्रज्ञान ही ब्रह्मा , इन्द्र, प्रजापति, समस्त देवगण, पश्चमहाभूत तथा उद्विज्ज, स्वेदज अण्डज और जरायुज आदि सब प्रकार जीव-जन्तु हैं।
- जीवन के सभी रूपों यथा देवता , जरायुज , अण्डज , स्वेदज और उद्भिज का आधार इन्हीं सूर्यदेव में है।
- जीवन के सभी रूपों यथा देवता , जरायुज , अण्डज , स्वेदज और उद्भिज का आधार इन्हीं सूर्यदेव में है।
- देह चार प्रकार की होती है उद वृक्ष , स्वेदज कृमि कीट , अण्डज सर्प मछली पक्षी एवं जरायुज मनुष्य।
- देह चार प्रकार की होती है उद वृक्ष , स्वेदज कृमि कीट , अण्डज सर्प मछली पक्षी एवं जरायुज मनुष्य।
- बृह्मा विष्णु महेश और अष्टांगी इन चारों ने अण्डज पिण्डज ऊष्मज और स्थावर इन चार खानियों को उत्पन्न किया ।