अधमाई का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- तुलसी कहते थे , 'मांग के खईबो,मसीद(मस्जिद) में सोईबो'तथा परहित सरिस धरम नहीं भाई,परपीड़ा सम नहि अधमाई'!
- AMबड़ा मार्मिक कष्ट-प्रद , सारा यह दृष्टांत ।असहनीय जब परिस्थित, सहज लगे प्राणांत ।सहज लगे प्राणांत, प्रशासन की अधमाई ।
- हमारे ज्ञान के द्वारा , विचार के द्वारा, ठगी के द्वारा, किसी का शोषण होता है तो ये अधमाई है
- “ परहित सरिस धरम नहिं भाई , पर पीड़ा नहीं सम अधमाई ” जैसी पंक्तियाँ इन पर अक्षरशः लागू होती हैं।
- परहित सहिस धर्म नहीं भाई , परपीड़ा सम नहीं अधमाई ' तथा ‘ वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जाने रे।
- यहाँ तो ? परहित सरिस धरम नहीं भाई पर पीडा सम नहिं अधमाई ? की आदर्शगत चिंताधारा व्यक्ति का चरम उद्देश्य स्वीकारी गई है।
- वैसे आपने खुद बता ही दिया है “ परहित सरस धर्म नही भाई पर पीड़ा सम नही अधमाई ” अब कौनसा धर्म बाकी रह गया |
- इन्हें रामचरित मानस की दो ही चौपाइयां याद रहती हैं , ये परहित सरसि धरम नहीं भाई , परपीड़ा सम नहीं अधमाई , इस अर्धाली को नहीं ढूढ़ पाते।
- गोस्वामी तुलसीदास के सुन्दर शब्दों में ' परहित सरिस धरम नहि भाई, परपीड़ा सम नहि अधमाई' सती-प्रथा,जाति-प्रथा का गुण-गान करने वाले बहुसंख्यक समाज को सही दिशा में नहीं ले जा सकते।
- गोस्वामी तुलसीदास के सुन्दर शब्दों में ‘परहित सरिस धरम नहि भाई , परपीड़ा सम नहि अधमाई' सती-प्रथा,जाति-प्रथा का गुण-गान करने वाले बहुसंख्यक समाज को सही दिशा में नहीं ले जा सकते।