अनंतमूल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सूर्य की शांति के लिए बेल की जड़ , चंद्र के लिए खिन्नी की जड़ , मंगल के लिए अनंतमूल की जड़ , बुध के लिए विधारा की जड़ , गुरु के लिए संतरे या केले की जड़ , शुक्र के लिए सरफाकों की जड़ तथा शनि की शांति के लिए बिच्छुए की जड़ धारण करने की बात ज् योतिष के प्राचीन ग्रंथों में लिखी है।
- सूर्य ग्रह के लिए बेलपत्र की जड़ , चन्द्र ग्रह के लिए खिरनी या खजूर की जड़, मंगल ग्रह के लिए अनंतमूल या नाग जिह्वा की जड़, बुध ग्रह के लिए विधारा की जड़, ब्रहस्पति ग्रह के लिए भृंगराज की जड़, शुक्र ग्रह के लिए अश्वगंधा की जड़, शनि ग्रह के लिए लाल चन्दन या सिंह पुच्छ की जड़, राहु ग्रह के लिए लाल व सफ़ेद चन्दन और केतु ग्रा के लिए अश्वगंधा की जड़ को उपयोग में लाया जाता है।
- २ . गिलोय सत्त्व २ ५ ० मिग्रा . + चिरायता चूर्ण २ ५ ० मिग्रा . + अनंतमूल चूर्ण २ ५ ० मिग्रा . + गंधक रसायन २ ५ ० मिग्रा . रसमाणिक्य ५ ० मिग्रा . इन सारी औषधियों को भली प्रकार घोंट कर एक मात्रा बनाएं व इसी अनुपात में अनुमानतः २ ० दिन की मात्रा बना लीजिये व सुबह- दोपहर व रात को एक-एक मात्रा को गाय के एक चम्मच घी में एक चम्मच मिश्री ( खड़ी शक्कर ) मिला कर लें।