अनवद्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- विधिवत् वह “ वेद विद्याव्रतस्नात ' ' था राजनीति-निपुण , सकल कला-निधि था चारों वेद , षट् शास्त्र कण्ठस्थ थे उसको जिससे कि ‘‘ दशानन '' पद उसे प्राप्त था बढ़ गया इस भांति वह ‘‘ चतुरानन '' से पूजनीय ‘‘ पंचानन '' और ‘‘ षडानन ” से जिस भांति गुरु से भी गुरु पटु वटु हो , वट से बृहत् वट-बीज का वितान हो , उसके समान अद्यावधि वेद-विद्या से- विद्योतित अनवद्य हुआ नहीं विश्व में रावण था नाम उस वीर स्वाभिमानी का चलने से जिसके दहलती यों धरणि- हस्ति-पग से ज्यों डगमग होती तरणि।