अनात्मवाद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बौद्ध दर्शन तीन मूल सिद्धांत पर आधारित माना गया है- 1 . अनीश्वरवाद 2 . अनात्मवाद 3 . क्षणिकवाद।
- आज से २५०० वर्ष पूर्व बुद्धद्वारा प्रतिपादित अनात्मवाद , प्रतीत्य-समुत्पाद आदि पर मोग्गलिपुत्ततिस्स (त़्अतीय शताब्दी ईसवी पूर्व) से लेकरकमल-शील (८५० ई.
- उन्होंने इसे ‘ अनात्मवाद ' कहा . बुद्ध का दर्शन समस्त घटनाओं की क्षण भंगुरता पर विश्वास करता था .
- आत्मवाद के वर्णमूलक सरोकार के वरक्स उसी दौर में बौद्धों का अनात्मवाद जनजातियों के दमन के खिलाफ समतामूलक सरोकारों के साथ सामने आ रहा था।
- चार आर्यसत्य , अनित्यता , दु : खता , अनात्मता क्षणभङ्गवाद , अनात्मवाद , अनीश्वरवाद आदि बौद्धों के प्रसिद्ध दार्शनिक सिद्धान्त इसी प्रतीत्यसमुत्पाद के प्रतिफलन हैं।
- चार आर्यसत्य , अनित्यता , दु : खता , अनात्मता क्षणभङ्गवाद , अनात्मवाद , अनीश्वरवाद आदि बौद्धों के प्रसिद्ध दार्शनिक सिद्धान्त इसी प्रतीत्यसमुत्पाद के प्रतिफलन हैं।
- यह बृहस्पति शुक्र का स्वरूप धारण कर इन्द्र का सरंक्षण एवं दानवों का विनाश करने के उद्देश्य से अनात्मवाद या प्रपंच विज्ञान की संरचना करता है।
- क्या इससे बुद्ध का अनात्मवाद और अनीश्वरवाद के सिद्धांतों का खत्म होते हुए नजर नहीं आता ? क्या ये बुद्धा की शिक्षा से विरोधी नहीं है |
- उनकी वैचारिकता धीरे-धीरे अनुत्पादक तबके के अनुकूल होती गयी , बुद्ध के प्रतीत्य समुत्पाद से अनत्यिवाद और अनात्मवाद के जो स्वर फूटते थे, उसे महायानी शून्यवाद तक ले आये।
- बुद्ध दर्शन के मुख् य तत्व : चार आर्य सत्य , आष्टांगिक मार्ग , प्रतीत्यसमुत्पाद , अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन , बुद्ध कथाएँ , अनात्मवाद और निर्वाण।