अन्दोह का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वह रग़बत ( लोभ ) दिलाने और ड़राने , ख़ौफ़ज़दा ( भयभीत ) करने और मुतनब्बेह ( सचेत ) करने के लिये शाम को अम्नो आफ़ियत ( शांति एवं कुशलता ) का और सुब्ह को दर्दो अन्दोह ( दुख एवं क्षोभ ) का पैग़ाम ( सन्देश ) ले कर आती है।
- ( ((((( इन्सानी ज़िन्दगी में ऐसे मक़ामात बहुत कम आते हैं जब किसी काम का मुनासिब मौक़ा हाथ आ जाता है लेहाज़ा इन्सान का फ़र्ज़ है के इस मौक़े से फ़ायदा उठा ले और उसे ज़ाया न होने दे के फ़ुर्सत का निकल जाना इन्तेहाई रन्ज व अन्दोह का बाएस हो जाता है )))
- खुदा की क़सम ! वह जल्द ही अपने रहने सहने वालों को अपने से अलग कर देगी और अम्न व खुश्हाली में बसर करने वालों को रंजो अन्दोह ( दुख एवं क्षोभ ) में डाल देगी , और जो चीज़ , उस में की मुह मौड़ कर पीट फ़िराले वह वापस नहीं आया करती।
- ऐ मर्दों की शक्लो सूरत वाले नामर्दों ! तुम्हारी अक़्लें बच्चों की सी हैं , मैं तो यह ही चाहता था कि न तुम को देखता , न तुम से जान पहचान होती , ऐसी शनासाई ( परिचय ) जो निदामत ( लज्जा ) का सबब ( कारण ) और रंजो अन्दोह का बाइस बनी है।
- अमीरुल मोमिनीन को जब तहकीम के इस अफ़सोस नाक नतीजे की इत्तालाअ मिली , तो आप मिंबर पर तशरीफ़ लाए और यह ख़ुत्बा इर्शाद फ़रमाया जिस के लफ़्ज़ लफ़्ज़ से आप का अन्दोह व क़ल्क़ झलक रहा था और साथ ही आप की सेहतो फ़िक्रो नज़र , असाबते राय और दूर रस बसीरत पर भी रौशनी डालता है।
- ( फिर भी यह ) गिरया व बुका और अन्दोह व हुज़्न आपकी मुसीबत के मुक़ाबले में कम होता , लेकिन मौत ऐसी चीज़ है के जिसका पलटाना इख़्तेयार में नहीं है और न इसका दूर करना बस में है , मेरे माँ-बाप आप ( अ 0 ) पर निसार हों हमें भी अपने परवरदिगार के पास याद कीजियेगा और हमारा ख़याल रखियेगा।
- देखो ख़बरदार , ख़्वाहिशात पर एतमाद न करना के यह अहमक़ों का सरमाया हैं अक़्लमन्दी तजुर्बात के महफ़ूज़ रखने में है और बेहतरीन तजुर्बा वही है जिससे नसीहत हासिल हो , फ़ुरसत से फ़ायदा उठाओ क़ब्ल इसके के रन्ज व अन्दोह का सामना करना पड़े , हर तलबगार मतलूब को हासिल भी नहीं करता है और हर ग़ायब पलट कर भी नहीं आता है।
- इसके नूर से षिफ़ा हासिल करो के यह दिलों के लिये षिफ़ा है और इसकी बाक़ायदा तिलावत करो के यह मुफ़ीदतरीन क़िस्सों का मरकज़ है , और याद रखो के अपने इल्म के खि़लाफ़ अमल करने वाला आलिम भी हैरान व सरगर्दां जाहिल जैसा है जिसे जेहालत से कभी ओफ़ाक़ा नहीं होता है बल्कि इस पर हुज्जते ख़ुदा ज़्यादा अज़ीमतर होती है और इसके लिये हसरत व अन्दोह भी ज़्यादा लाज़िम होता है और वह बारगाहे इलाही में ज़्यादा क़ाबिले मलामत होता है।
- जिसे इसकी ज़ीनत पसन्द आ गई उसकी आंखों को अन्जामकारिया अन्धा कर देती है और जिसने इससे ‘ ाग़फ़ को ‘ ाोआर बना लिया उसके ज़मीर को रन्ज व अन्दोह से भर देती है और यह फ़िक्रें इसके नुक़्तए क़ल्ब के गिर्द चक्कर लगाती रहती हैं बाज़ इसे मशग़ूल बना लेती हैं और बाज़ महज़ून बना देती हैं और यह सिलसिला यूँ ही क़ायम रहता है यहाँ तक के इसका गला घोंट दिया जाए और उसे फ़िज़ा ( क़ब्र ) में डाल दिया जाए जहाँ दिल की दोनों रगें कट जाएँ।
- उनकी तरफ़ आफ़तों का रास्ता हमवार कर दिया है , न कोई हाथ है जो उनका बचाव करे और न ( बख़्शने वाले ) दिल हैं जो बेचैन हो जाएं अगर तुम अपनी अक़्लों में उनका नक़्शा जमाओ या यह के तुम्हारे सामने से उन पर पड़ा हुआ परदा हटा दिया जाए तो अलबत्ता तुम उनके दिलों के अन्दोह और आंखों में पड़े हुए ख़स व ख़ाशाक को देखोगे के उन पर शिद्दत व सख़्ती की ऐसी हालत है के वह बलन्दी नहीं और ऐसी मुसीबत व जान गाही है के हटने का नाम नहीं लेती