अन्धकूप का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सुरूप बनाने की कोशिश में विरूप ही नहीं करते बल्कि अन्धकूप में ढकेलते शुभेच्छु ! आप यदि स्वतंत्र दृष्टि रखते हैं तो बदनुमा हो जाते हैं ...
- दूसरी मनःस्थिति वह है जिसमें मनुष्य उद्वेग , चिंता , भय , तृष्णा , प्रतिशोध , दम्भ आदि राक्षसी वृत्तियाँ मनुष्य को अन्धकूप में डाल देती हैं ।।
- कोई भी पाठक किसी रचना के अन्धकूप सरीखे नेपथ्य में भला क्यों उतरना चाहेगा ? इसी के समानान्तर एक सोच यह भी है कि लेखक पाठक-विशेष या रचना-विधा के सिद्धान्त-विशेष को ध्यान में रखकर रचना क्यों करे ? अपने आप को अभिव्यक्ति के धरातल पर उन्मुक्त क्यों न रखे ?
- और चाहते हैं , शासक की गुलामी से निकलना , समाज की गुलामी से निकलना , अज्ञान की और प्रकृति की गुलामी से निकलना-स्वयं परमात्मा की गुलामी से निकलने की बात करते हैं वे ! वे जो जीवन के अन्धकूप में खचाखच भरे हुए हैं , और जो अपने ऊपर कुटुम्बरूपी ढक्कन देकर उस अन्धकुप को और भी अँधेरा और प्राणघातक बना रहे हैं ...