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अपरिच्छिन्न का अर्थ

अपरिच्छिन्न अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. आत्मा के व्यापक होने से उसका आवास हृदय भी अपरिच्छिन्न हुआ , अतः हृदय-साक्षी में हृदयरूप परिच्छेद को दूरकर निष्क्रियत्व और प्रपंच में केवल वासनामयत्य का ज्ञान कराने के लिए , परलोक के समान उत्क्रमण और गमन की भी वहीं पर ( हृदय में ही ) कल्पनामात्र से उपपत्ति हो सकती है , अतः उक्त श्रुति और स्मृति से कोई विरोध नहीं है।
  2. इस प्रकार श्रीरामचन्द्रजी द्वारा पूछे गये भगवान् वसिष्ठ , जब तक श्रीरामचन्द्रजी बन्ध की अविद्याजन्यता , विद्या का स्वरूप और उसके साक्षी अपरिच्छिन्न सर्वाधार चैतन्यस्वरूप को नहीं जानते , तब तक जीवन्मुक्ति में इनका विश्वास नहीं हो सकता , इसलिए पहले उनका उपपादन कर , तदुपरान्त इनके प्रश्न का समाधार करूँगा , यों विचार कर सुबोध होने के कारण पहले साक्षी में स्थूलप्रपंचपरम्परा का अध्यारोप दिखलाते हैं।
  3. तो जाग्रत - देश , जाग्रत - काल , जाग्रत - द्रव्य तीनोँसे जो न्यारा है , स्वप्न - देश , स्वप्नकाल , स्वप्न - द्रव्य - तीनोँसे जोरा है , और और सुषुप्तीमेँ धनीभूत देश , घनीभूत - काल , और घनीभूत द्रव्य जो कि दृष्टीमेँ , वृत्तिमेँ लीन हो गये है उनमेँ अलीन जो आत्मवस्तु है वह असलमेँ वस्तुतः देश - काल - वस्तुसे अपरिच्छिन्न है और ब्रह्म भी देश - काल वस्तुसे अपरिछिन्न है ।
  4. यस्ते ददाति रवमस्य वरं ददासि , यो वा मदं वहति तस्य दमं विधत्से | इत्यक्षरद्वयविपर्ययकेलिशीलः किं नाम कुर्वति नमो न मनः करोषि || सूत संहिता भी शिव की महिमा का विस्तार से वर्णन करते हुए बताती है कि शिव काल से अपरिच्छिन्न हैं - कालो माया च तत्कार्यं शिवेनैवाSवृतं बुधाः | शिवः कालानवच्छिन्नः कालतत्वं यथा तथा || शिव की देश-काल से परे की स्थिति का वर्णन स्वयं उपनिषद् करते हैं और वही शिव अनन्त मूर्तियों में प्रकट होते हैं।
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