अपसव्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कोठे पर अथवा अपने पीछे , ( 24 ) सर्वात्मभूतयेनम : , दक्षिण मुख हो और जनेऊ को अपसव्य ( बायें ) कर , ( 25 ) स्वधा पितृभ्य : , इस मन्त्र से दक्षिण दिशा में बचे अन्न की बलि दे।
- लग्न राशि यदि सव्य वर्ग की है तो गणना सव्य और अपसव्य है तो अपसव्य होगी अर्थात् लग्न यदि सव्य है तो लग्न से लग्नेश तक सव्य क्रम में गणना कर एक घटा देने से राशि की अवधि मालूम हो जाती है।
- लग्न राशि यदि सव्य वर्ग की है तो गणना सव्य और अपसव्य है तो अपसव्य होगी अर्थात् लग्न यदि सव्य है तो लग्न से लग्नेश तक सव्य क्रम में गणना कर एक घटा देने से राशि की अवधि मालूम हो जाती है।
- अपसव्य अर्थात् उलटा क्रम लग्न में मेष , सिंह , कन्या , तुला , कुंभ और मीन राशियां सव्य लग्न वर्ग की और लग्न में वृष , मिथुन , कर्क , वृश्चिक , धनु और मकर राशियां अपसव्य लग्न की राशियां कहलाती हैं।
- अपसव्य अर्थात् उलटा क्रम लग्न में मेष , सिंह , कन्या , तुला , कुंभ और मीन राशियां सव्य लग्न वर्ग की और लग्न में वृष , मिथुन , कर्क , वृश्चिक , धनु और मकर राशियां अपसव्य लग्न की राशियां कहलाती हैं।
- इसके बाद पितृ-पक्ष के लिए अपसव्य भाव से यज्ञोपवीत को दाएँ कन्धे पर रखकर निवेदन करें , फिर ब्राह्मणों की अनुमति से दो भागों में बंटे हुए कुशाओं का दान करके मंत्रोच्चारण-पूर्वक पितृ-गण का आह्वान करें तथा अपसव्य भाव से तिलोसक से अर्घ्यादि दें।
- इसके बाद पितृ-पक्ष के लिए अपसव्य भाव से यज्ञोपवीत को दाएँ कन्धे पर रखकर निवेदन करें , फिर ब्राह्मणों की अनुमति से दो भागों में बंटे हुए कुशाओं का दान करके मंत्रोच्चारण-पूर्वक पितृ-गण का आह्वान करें तथा अपसव्य भाव से तिलोसक से अर्घ्यादि दें।
- शुद्ध वस्त्र जल में डुबोएँ और बाहर लाकर मन्त्र को पढ़ते हुए अपसव्य भाव से अपने बायें भाग में भूमि पर उस वस्त्र को निचोड़ें ( यदि घर में किसी मृत पुरुष का वार्षिक श्राद्ध कर्म हो , तो वस्त्र- निष्पीड़न नहीं करना चाहिए ।
- उपर्युक्त तपंणों को सम्पन्न करने के उपरांत वह एक शुद्ध एवं स्वच्छ वस्र खण्ड को जल में भिगो कर घर के बाहर ले जाता है तथा अपसव्य यज्ञोपवीती होकर अपने गोत्र की उन मृतात्माओं को जलांजलि अर्पित करता है , जो नि : संतान मर गये हैं।
- नदी के तट पर जनेऊ देव , ऋषि , पितृ के अनुसार सव्य और अपसव्य में कुश हाथ में लेकर हाथ के बीच , उंगली व अगूंठे से संपूर्ण तर्पण करें नदी तट के अभाव में ताम्र पात्र में जल , जौ , तिल , पंचामृत , चंदन , तुलसी , गंगाजल आदि लेकर तर्पण करें।