अभिमानशून्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- शिवपुराण में कहा गया है कि दयालु मनुष्य , अभिमानशून्य व्यक्ति , परोपकारी और जितेंद्रीय ये चार पवित्र स्तंभ हैं , जो इस पृथ्वी को धारण किए हुए हैं।
- इस आकृति से बाबा समझा रहे है कि यदि तुम्हें मेरे आध्यात्मिक दर्शन करने की इच्छा हो तो अभिमानशून्य और विनम्र होकर उक्त दो अँगुलियों के बीच से मेरे चरण के अँगूठे का ध्यान करो ।
- जैसे भुने चने खेतीके काम तो नहीं आते , पर खानेके काम आते हैं , ऐसे ही वह अभिमानशून्य अहम् जन्म-मरण देनेवाला तो नहीं होता , पर ( अपने मतका संस्कार रहनेसे ) अन्य दार्शनिकोंसे मतभेद करनेवाला होता है ।
- इस लोक में मेरा कुछ भी कर्तव्य नहीं है , पर रहना चाहिए , यों विचार कर मैं अमनस्क होकर यहाँ स्थित हूँ , अतएव अभिमानशून्य वृत्ति से रहता हुआ मैं अज्ञानियों की बुद्धि से कार्य करता हूँ , अपनी बुद्धि से तो कुछ भी नहीं करता , यह भाव है।।