अमत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पेंइगुइन ने इस मेले में युवा पाठकों को ध्यान में रखकर मेट्रो रीडर नाम से पूरी शृंखला ज़ारी की जिसमें पारितोष की ड्रीम्स इन प्रुशीयन ब्लू और अमत शेट्टी की लव ओवर कॉफी अपने-अपने तरीक़े से युवा मन को छूती है।
- देखा जाए तो भगवान सत ही सत ह , अमत ही अमत ह यदि हम उनके यि ज्ञानी भ ह, उनके अनुप वय को बदलने के लिए तयार ह, उनके गुणों को, उनके बताए आदशा] को जीवन में उतारने के लिए सतत कतसकपित ह।
- देखा जाए तो भगवान सत ही सत ह , अमत ही अमत ह यदि हम उनके यि ज्ञानी भ ह, उनके अनुप वय को बदलने के लिए तयार ह, उनके गुणों को, उनके बताए आदशा] को जीवन में उतारने के लिए सतत कतसकपित ह।
- देखा जाए तो भगवान सत ही सत ह , अमत ही अमत ह यदि हम उनके यि ज्ञानी भ ह, उनके अनुप वय को बदलने के लिए तयार ह, उनके गुणों को, उनके बताए आदशा] को जीवन में उतारने के लिए सतत कतसकपित ह।
- मयु के बाद जम से पूव इस जगत में यदि मयु ह कहीं तो अज्ञान ह , अज्ञान के कारण ही मयु ह, अज्ञान के अतिरि आर कोइ मयु नहीं ह, अथात अज्ञान ही मयु ह, यदि अज्ञान ही मयु ह तो ज्ञान अमत होना चाहिए।
- जहां तक पत्रकारों के द्वारा अपने मन की खटास को इसमें टांके जाने की बात है , यह पत्रकार की अपनी अभिरुचि या क्षमता पर नि र्भर करता है कि वो अपने मन के वि ष , जहर को किस प्रकार औरों के लिए अमत बना पाता है .
- ऐसे क्षणों में साथ देने के लिए आपका , विश्वनाथ जी का , अंकित जी का , महेंद्र वर्मा जी का , सतीश सक्सेना जी का , विजय माथुर जी का , अभिशेक १ ५ ० २ जी का , यशवंत जी का , अमत जीत जी का , कैलाश शर्मा जी का , आशा जोगलेकर जी का विशेष आभार।
- ऐसे क्षणों में साथ देने के लिए आपका , विश्वनाथ जी का , अंकित जी का , महेंद्र वर्मा जी का , सतीश सक्सेना जी का , विजय माथुर जी का , अभिशेक १ ५ ० २ जी का , यशवंत जी का , अमत जीत जी का , कैलाश शर्मा जी का , आशा जोगलेकर जी का विशेष आभार।
- गु के अमत ज्ञान को आर उनके थान को सर्वोपरि मानता ह , दूसरों के अपराधों को क्षमा करता है, नजरदाज करके छोड देता ह, दया भाव बनाए रखता है, अपनी सवेदनशीलता को बनाए रखता है, पेम यार का यवहार बरकरार रखता है, इवर पर विवास रखता है, सतोषी होता है आर भु के याय को सहष वीकारता है, वही से अथा] में अतमुखी होता है।
- जितना हिन्दी को सरल बनाया जायेगा उतना ही बेहतर रहेगा , प्रेमचंद्र जी , अमत लाल नागर या दुष्यंत कुमार जिन्होने ( साये मे घूप खिली ) इतनी पापूलर क्यो है इनको सब पढते है क्यो कि वो पठनीय है आप पढते है तो मजा आता है , समझ आता है बाकी हिन्दी को जो लोग लिखते है ऐसा लगता है कि पुलिस का सम्मन है।