अर्थगौरव का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- उपमा , अर्थगौरव तथा पदलालित्य - इन तीन गुणों का सुभग सह-अस्तित्व माघ के कमनीय काव्य में मिलता है, अतः “माघे सन्ति त्रयो गुणा:” उनके बारे में सुप्रसिद्ध है।
- संस्कृत के कवि प्रशस्तिपरक सुभाषितोक्ति के अनुसार माघ कवि के इस महाकाव्य में कालिदास की उपमा , भारवि का अर्थगौरव और दंडी (या श्रीहर्ष) का पदलालित्य तीनों एकत्र समन्वित हैं।
- संस्कृत के कवि प्रशस्तिपरक सुभाषितोक्ति के अनुसार माघ कवि के इस महाकाव्य में कालिदास की उपमा , भारवि का अर्थगौरव और दंडी (या श्रीहर्ष) का पदलालित्य तीनों एकत्र समन्वित हैं।
- विडंबना है कि कविता के अर्थगौरव को अलक्षित और अवमूल्यित करते हुए इसे सांप्रदायिक नजरिये से लिखी एक मुसलमान कवि की कविता के रूप मे देखा जा रहा है।
- उपमा , अर्थगौरव तथा पदलालित्य - इन तीन गुणों का सुभग सह-अस्तित्व माघ के कमनीय काव्य में मिलता है , अतः “ माघे सन्ति त्रयो गुणा : ” उनके बारे में सुप्रसिद्ध है।
- उपमा , अर्थगौरव तथा पदलालित्य - इन तीन गुणों का सुभग सह-अस्तित्व माघ के कमनीय काव्य में मिलता है , अतः “ माघे सन्ति त्रयो गुणा : ” उनके बारे में सुप्रसिद्ध है।
- इस कथा को एक नया और विशिष्ट अर्थगौरव प्राप्त हो जाता है जब हम इस तथ्य पर गौर करते हैं कि मातृ - अधिकार के अधीन यह व्यवस्था है कि पुराने सरदार की बहन के बेटे को ही नया सरदार होने का हक होता है।
- फिर भी एक समय मैं कतिपयलोक गीतों को लेकर यह धारणा बना बैठा था कि कुछ नहीं टाइमपा स के लिए रची गयी पंक्तियां हैं जिन्हें बिना सीमेंट , चूने, मिट्टी की र्स्नििग्धता के एक के ऊपर एक आड़े तिरछे रख दिया गया है (ये समझते हुए भी कि हर लोकगीत में अर्थगौरव और तार्किकता की तलाष न तो ज़ायज है और न ही उनके सृजन का आध्ाारभूत सिद्धांत)।
- फिर भी एक समय मैं कतिपय लोक गीतों को लेकर यह धारणा बना बैठा था कि कुछ नहीं टाइमपा स के लिए रची गयी पंक्तियां हैं जिन्हें बिना सीमेंट , चूने , मिट्टी की र्स्नििग्धता के एक के ऊपर एक आड़े तिरछे रख दिया गया है ( ये समझते हुए भी कि हर लोकगीत में अर्थगौरव और तार्किकता की तलाष न तो ज़ायज है और न ही उनके सृजन का आध्ाारभूत सिद्धांत ) ।