अशुद्ध शब्द का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- क्या इन्हें भी हम आदर्श मानकर विश्वविद्यालय में पढ़ाएँ ? ' गाली-गलौच ' की तरह कृप्या , धुम्रपान , आर्शीवाद जैसे अनेक अशुद्ध शब्द दिल्ली में सार्वजनिक स्थलों पर नजर आ जाते हैं।
- तभी तो कविता में ‘ ग्यारह ' को ‘ ग्यारा ' लिखने पर आप लाल-पीले हो जाते हैं , तभी जरा सा अशुद्ध शब्द लिख जाने पर गुरूजी बनकर समझाने चले आते हैं।
- अखबार में वर्तनी की अशुद्धियां होना आम बात है मगर माथुर साहब किसी अशुद्धि के लिए किसी से पूछताछ न कर अशुद्ध शब्द के साथ शुद्ध शब्द लिख कर नोटिस बोर्ड पर लगा देते।
- 17 जून को उसमें नाम हिन्दी में लिख दिया ( मेरा नाम मनिश राइचन्द है ! ) उसी दिन पुनः वदलाव करते हुए ( मुझे हिन्दी विकीपेदिया पे एडिट करना और अपना यौग्ड़ान देना बहोट अछा लगता है ! ) कुछ अशुद्ध शब्द लिखे।
- १ ९ १ -जिसे सो $ हंओंकार , ररंकार , श्रीमन्नारायण , महाविष्णु सबकी प्राप्ति हो जाय | जो हर शै ( वस्तु ) से रोम रोम से शब्द होता है-वह अशुद्ध शब्द मुंह से निकल सकता है | मुसलमानों ने भी लिखाया है |
- हालांकि , 1830 के बाद इंग्लैण्ड में प्रवेश पाते ही अशुद्ध शब्द ऐस्थेटिक्स की लोकप्रियता बढ़ने लगी, और ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार, बौमगार्टन द्वारा इसके अर्थ की नयी व्याख्या के एक सदी के अंदर ही, समूचे यूरोप में इसका व्यापक रूप से प्रयोग होने लगा था.
- इसके बाद कई भाषाओं में पारंगत एक प्रबंधक ने इस अशुद्ध शब्द “ गोआ ” की श्रेणियाँ बनाना , और इसी नाम से अन्य अशुद्ध वर्तनी वाले पृष्ठ बना कर इतना प्रचारित कर दिया कि अन्य विकी सदस्य भी “ गोआ ” को ही शुद्ध मान बैठे।
- एक दूसरी विचित्र बात यह भी है एक भाषा का शब्द जब दूसरी भाषा में जाता है तो बहुधा अपने शुद्ध रूप में कभी नहीं रहता और जब ऐसा अशुद्ध शब्द भी दूसरी किसी भाषा में अच्छी तरह मिल जाता है तो फिर उसके शुद्ध करने का प्रयत्न भी व्यर्थ ही है क्योंकि बोलने वालों के मन या जबान पर जो एक बार चढ़ गया वह कभी नहीं निकल सकता।
- एक दूसरी विचित्र बात यह भी है एक भाषा का शब्द जब दूसरी भाषा में जाता है तो बहुधा अपने शुद्ध रूप में कभी नहीं रहता और जब ऐसा अशुद्ध शब्द भी दूसरी किसी भाषा में अच्छी तरह मिल जाता है तो फिर उसके शुद्ध करने का प्रयत्न भी व्यर्थ ही है क्योंकि बोलने वालों के मन या जबान पर जो एक बार चढ़ गया वह कभी नहीं निकल सकता।
- २ ९ १ -खराब शब्दों के रूप काले होते हैं और नंगे होते हैं | जहां तुम्हारे मुंह से निकले कि रोकर कहते हैं , तुम अनमोल नर शरीर पाकर अपने मुंह से हमें ऐसा बनाकर निकला | श्राप देकर अन्तर होते हैं | शुद्ध शब्द सिंगार किहे बड़े सुन्दर होते हैं | जहां मुंह निकले तो हँसते हुवे आशीर्वाद देते हुवे अन्तर होते हैं | यह लिख्या गया है कि अशुद्ध शब्द जो साधक सुनता है , वह उसके अन्दर