असंख्यात का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यह इसकी अवगाहन शक्ति की विशेषता है कि असंख्यात प्रदेशी लोकाकाश में अनन्तानन्त जीव , अनन्तानन्त पुद्गल , असंख्यात कालाणू , एक असंख्यात प्रदेशी धर्मद्रव्य और एक असंख्यात प्रदेशी अधर्म द्रव्य ये सब परस्पर के अविरोधपूर्वक अवस्थित हैं।
- यह इसकी अवगाहन शक्ति की विशेषता है कि असंख्यात प्रदेशी लोकाकाश में अनन्तानन्त जीव , अनन्तानन्त पुद्गल , असंख्यात कालाणू , एक असंख्यात प्रदेशी धर्मद्रव्य और एक असंख्यात प्रदेशी अधर्म द्रव्य ये सब परस्पर के अविरोधपूर्वक अवस्थित हैं।
- यह इसकी अवगाहन शक्ति की विशेषता है कि असंख्यात प्रदेशी लोकाकाश में अनन्तानन्त जीव , अनन्तानन्त पुद्गल , असंख्यात कालाणू , एक असंख्यात प्रदेशी धर्मद्रव्य और एक असंख्यात प्रदेशी अधर्म द्रव्य ये सब परस्पर के अविरोधपूर्वक अवस्थित हैं।
- यह इसकी अवगाहन शक्ति की विशेषता है कि असंख्यात प्रदेशी लोकाकाश में अनन्तानन्त जीव , अनन्तानन्त पुद्गल , असंख्यात कालाणू , एक असंख्यात प्रदेशी धर्मद्रव्य और एक असंख्यात प्रदेशी अधर्म द्रव्य ये सब परस्पर के अविरोधपूर्वक अवस्थित हैं।
- और दिल में घुमड़ने वाली वे लाखों बचैनियां , कसमसाहटें , परेशानियां , जज़्बात और असंख्यात विचार जो किसी न किसी तरह बातों से ही जन्में है और खुद को शब्द देने के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं ..
- समवशरण में असंख्यात देव-देवियाँ तिर्यंच और मनुष्य नम्रीभूत होकर प्रभु से सन्मार्ग देने की प्रार्थना कर रहे थे पर केवलज्ञान होने के उपरांत भी शिष्यरूपी श्रेष्ठ पात्र के अभाव में प्रभु की दिव्यध्वनि ६ ५ दिन तक नहीं खिरी।
- ऐसे असंख्यात समयों की एक आवलि , संख्यात आवलियों का एक उच्छ्वास, सात उच्छ्वासों का एक स्तोक, सात स्तोकों का एक लव, ३८ १/२ लवों की एक नाली, २ नालियों का एक मुहूर्त और ३० मूहूर्त का एक अहोरात्र होता है।
- इसका कारण यह है कि उसे एक-एक अणुरूप माना गया है और वे अणुरूप काल द्रव्य असंख्यात हैं , क्योंकि वे लोकाकाश के , जो असंख्यात प्रदेशों वाला है , एक-एक प्रदेश पर एक-एक जुदे-जुदे रत्नों की राशि की तरह अवस्थित हैं।
- इसका कारण यह है कि उसे एक-एक अणुरूप माना गया है और वे अणुरूप काल द्रव्य असंख्यात हैं , क्योंकि वे लोकाकाश के , जो असंख्यात प्रदेशों वाला है , एक-एक प्रदेश पर एक-एक जुदे-जुदे रत्नों की राशि की तरह अवस्थित हैं।
- जितने आकाश में , जो उसका असंख्यात वां भाग है , जीव , पुद्गल , धर्म , अधर्म और काल ये पांच द्रव्य पाये जाते हैं वह लोकाकाश है और उसके चारों ओर केवल एक आकाश द्रव्य है और जो चारों ओर अनन्त-अनन्त है वह अलोकाकाश हे।