असज्जन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- असज्जन की वंदना इसलिये कि दुष्ट आदमी दो मिनट में आपके अभिजात्य को छियाछार कर सकता है - उस अभिजात्य को जिसे आपने परत-दर-परत बरसों से बड़े जतन से अपने व्यक्तित्व पर चढाया है .
- राजन् छ : बातें आदमी को हल्का करती हैं - खोटे नर की प्रीति , बिना कारण हँसी , स्त्री से विवाद , असज्जन स्वामी की सेवा , गधे की सवारी और बिना संस्कृत की भाषा।
- राजन् छ : बातें आदमी को हल्का करती हैं - खोटे नर की प्रीति , बिना कारण हँसी , स्त्री से विवाद , असज्जन स्वामी की सेवा , गधे की सवारी और बिना संस्कृत की भाषा।
- यदि असज्जन की संगति आदि से कदाचित् एक आध अशुभ वासना उठे , तो उसका , उसके विरोधी साधु संगति , सत्-शास्त्र के अभ्यास आदि से विरोधी शुभ वासना की उत्पत्ति कराकर , तिरस्कार कर देना चाहिए।।
- उसे लड़की पर दया आ ही जाती , जो मुस्कराकर कह रही थी , मेरा तौक कब बनाकर लाओगे ? परंतु जगधार गृहस्थी के असह्य भार के कारण उससे कहीं असज्जन बनने पर मजबूर था , जितना वह वास्तव में था।
- जब - जब अंधेरा होगा , और जब - जब लोगों का मन धर्म के प्रति ग्लानि से भर जाएगा , और जब - जब शुभ पर अशुभ की प्रतिष्ठा होगी , और जब - जब सज्जन को असज्जन सताएगा , मैं आऊंगा।
- वाक़ई प्रेम पर कुछ कहना , उत्साहित होने जैसी भावना को जन्म देना है, लेकिन इस सदी के भयावह वैचारिक आक्रमणों ने प्रेम पर भी आँखें तरेरना चालू कर दी हैं, और ये सज्जन कथित संस्कृति रक्षक होने का दंभ भरते हैं ( बंदउं संत असज्जन चरना - तुलसीदास )।
- वाक़ई प्रेम पर कुछ कहना , उत्साहित होने जैसी भावना को जन्म देना है , लेकिन इस सदी के भयावह वैचारिक आक्रमणों ने प्रेम पर भी आँखें तरेरना चालू कर दी हैं , और ये सज्जन कथित संस्कृति रक्षक होने का दंभ भरते हैं ( बंदउं संत असज्जन चरना - तुलसीदास ) ।
- और विशेष आभार उनका , जो आज इस ब्लॉग के वार्षिकोत्सव में सम्मिलित हु ए. आभार की श्रृंखला रुक नहीं सकती ..... बंदौ संत असज्जन चरणा .... ! लेकिन इस पराव पर आभार की बची हुई पोटली मैं इस ब्लॉग के सहयोगियों को समर्पित करता हूँ ! आप सबों को हृदय से धन्यवाद !!!
- आचार्य जी का यह कहना गोस्वामी के जमाने मे दो प्रकार के भक्त थे प्रथम रामकृष्णोपासक और दूसरे उपहास द्वारा लोंगों को आकर्षित करते थे , उन्हे भक्त कैसे कह दिया हालांकि उनकी ओर इशारा तुलसी जी ने किया है पर हित हानि लाभ जिन केरें और पर हित घ्रत जिनके मन माखी लेकिन बाबा ने उन्हे असज्जन कहा है उन दिनो बाममार्गी भक्त भी थे शायद पंच मकार वाले उनका तो तुलसी ने भक्त माना ही नही है उस मत का विरोध भी इनकी रचनाओं मे स्पष्ट दिखाई देत है ।