असिद्धि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कार्य की सिद्धि और असिद्धि में समानभाव से रहकर कर्मयोग का आश्रय ले क्षात्रधर्म का पालन करो।
- कार्य की सिद्धि और असिद्धि में समानभाव से रहकर कर्मयोग का आश्रय ले क्षात्रधर्म का पालन करो।”
- कार्य की सिद्धि और असिद्धि में समानभाव से रहकर कर्मयोग का आश्रय ले क्षात्रधर्म का पालन करो।”
- इन चारों खतरों से बचने का निचोड़ इसी सिद्धि , असिद्धि की समता में ही आ जाता है।
- इन चारों खतरों से बचने का निचोड़ इसी सिद्धि , असिद्धि की समता में ही आ जाता है।
- गीता कहती है कि सिद्धि , असिद्धि में सम रहकर, समान भाव से रहकर आसक्तिको त्यागकर कर्म करना चाहिए-योगस्थ: कुरु कर्माणिसंगंत्यक्त्वाधनञ्जय।
- गीता कहती है कि सिद्धि , असिद्धि में सम रहकर, समान भाव से रहकर आसक्तिको त्यागकर कर्म करना चाहिए-योगस्थ: कुरु कर्माणिसंगंत्यक्त्वाधनञ्जय।
- ४ . २२वें श्लोक में समझाया गया है कि सिद्धि और असिद्धि में समता रखने से वह व्यक्ति कर्मों के फ़लों से नहीं बँधता।
- ४ . २२ वें श्लोक में समझाया गया है कि सिद्धि और असिद्धि में समता रखने से वह व्यक्ति कर्मों के फ़लों से नहीं बँधता।
- और ४ . २२ वें श्लोक में समझाया गया है कि सिद्धि और असिद्धि में समता रखने से वह व्यक्ति कर्मों के फ़लों से नहीं बँधता।