असोज का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- एक तो चैत ( चैत्र ) के महीने में , दूसरा सौण ( श्रावण ) में और तीसरा असोज ( आस्विन ) में . जिस दिन हरेला होता है उसके नौ-दस दिन पहले पांच या सात प्रकार के बीजों को एक टोकरी , थाली या पुराने मिठाई के डब्बे में मिटटी डाल के बो दिया जाता है . ”
- इस जनसभा में महिला प्रगति मंच , परिवर्तन , जोश , भूखा न सोये अभियान ( सेडेड ) , आल इंडिया कचड़ा श्रमिक महासंघ , इसु , झुग्गी झोपडी एकता मंच , भलस्वा लोक शक्ति मंच , असोज , दलित क्रिस्टियन सोसाइटी , प्रवासी जन मंच के अलावां बहुत से बस्तिओं के एंव सस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
- इस जनसभा में महिला प्रगति मंच , परिवर्तन , जोश , भूखा न सोये अभियान ( सेडेड ) , आल इंडिया कचड़ा श्रमिक महासंघ , इसु , झुग्गी झोपडी एकता मंच , भलस्वा लोक शक्ति मंच , असोज , दलित क्रिस्टियन सोसाइटी , प्रवासी जन मंच के अलावां बहुत से बस्तिओं के एंव सस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
- राजस्थानी साहित्यकार और भाषाविद् भंवरसिंह सामौर के अनुसार पोष में पावठ , माघ में मावठ , फाल्गुन में फटकार , चैत में चड़पड़ाट , वैसाख में हळोतियो , जेठ में झपटो , आषाठ में सरवांत , सावन में लोर , भादो में झड़ी , असोज में मोती , कार्तिक में कटक और मिंगसर में होने वाली बरसात फांसरड़ो कहलाती है।
- राजस्थानी साहित्यकार और भाषाविद् भंवरसिंह सामौर के अनुसार पोष में पावठ , माघ में मावठ , फाल्गुन में फटकार , चैत में चड़पड़ाट , वैसाख में हळोतियो , जेठ में झपटो , आषाठ में सरवांत , सावन में लोर , भादो में झड़ी , असोज में मोती , कार्तिक में कटक और मिंगसर में होने वाली बरसात फांसरड़ो कहलाती है।
- कैसे भूल सकता हूँ मैं असोज के महीने में सिर परघास के गट्ठर का ढोना , असोज में बारिश की तनिक आशंका से सूखी घास को सार के फटाफटलूटे का बनाना, फटी एड़ियों को किसी क्रैक क्रीम से नहीं बल्कि तेल की बत्ती सेडामना फिर वैसलीन नहीं बल्कि मोम-तेल से उन चीरों को भरना, लीसे के छिलुके सेसुबह सुबह चूल्हे का जलाना, जाड़े के दिनों में सगड़ में गुपटाले लगा के आग कातापना , “भड्डू” में पकी दाल के निराले स्वाद को पहचानना.
- कैसे भूल सकता हूँ मैं असोज के महीने में सिर परघास के गट्ठर का ढोना , असोज में बारिश की तनिक आशंका से सूखी घास को सार के फटाफटलूटे का बनाना, फटी एड़ियों को किसी क्रैक क्रीम से नहीं बल्कि तेल की बत्ती सेडामना फिर वैसलीन नहीं बल्कि मोम-तेल से उन चीरों को भरना, लीसे के छिलुके सेसुबह सुबह चूल्हे का जलाना, जाड़े के दिनों में सगड़ में गुपटाले लगा के आग कातापना , “भड्डू” में पकी दाल के निराले स्वाद को पहचानना.
- कैसे भूल सकता हूँ मैं असोज के महीने में सिर परघास के गट्ठर का ढोना , असोज में बारिश की तनिक आशंका से सूखी घास को सार के फटाफटलूटे का बनाना, फटी एड़ियों को किसी क्रैक क्रीम से नहीं बल्कि तेल की बत्ती सेडामना फिर वैसलीन नहीं बल्कि मोम-तेल से उन चीरों को भरना, लीसे के छिलुके सेसुबह सुबह चूल्हे का जलाना, जाड़े के दिनों में सगड़ में गुपटाले लगा के आग कातापना , “भड्डू” में पकी दाल के निराले स्वाद को पहचानना.
- कैसे भूल सकता हूँ मैं असोज के महीने में सिर पर घास के गट्ठर का ढोना , असोज में बारिश की तनिक आशंका से सूखी घास को सार के फटाफट लूटे का बनाना, फटी एड़ियों को किसी क्रैक क्रीम से नहीं बल्कि तेल की बत्ती से डामना फिर वैसलीन नहीं बल्कि मोम-तेल से उन चीरों को भरना, लीसे के छिलुके से सुबह सुबह चूल्हे का जलाना, जाड़े के दिनों में सगड़ में गुपटाले लगा के आग का तापना , “भड्डू” में पकी दाल के निराले स्वाद को पहचानना.
- कैसे भूल सकता हूँ मैं असोज के महीने में सिर पर घास के गट्ठर का ढोना , असोज में बारिश की तनिक आशंका से सूखी घास को सार के फटाफट लूटे का बनाना, फटी एड़ियों को किसी क्रैक क्रीम से नहीं बल्कि तेल की बत्ती से डामना फिर वैसलीन नहीं बल्कि मोम-तेल से उन चीरों को भरना, लीसे के छिलुके से सुबह सुबह चूल्हे का जलाना, जाड़े के दिनों में सगड़ में गुपटाले लगा के आग का तापना , “भड्डू” में पकी दाल के निराले स्वाद को पहचानना.