अस्तगत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- महाराज ताऊ : नोट किजिये मिस टेढी, नोट भी क्या, आप तो गांठ बांधिये, इस सूत्र वाक्य के फ़लादेश कभी गलत नही हो सकते, नीच: क्रूर ग्रर्हयुक्तो अस्तगो रिपु: क्षेत्रग: वक्री चंद्रो विबलो वर्जितोयम शुभे सम: अर्थात नीच क्रूर ग्रह से युक्त, अस्तगत, शत्रु के घर में स्थित तथा वक्री चंद्र निर्बल होकर दु:ख एवम दारिद्रदायक होता है.
- वक्री ग्रह मंगल , बुध, गुरू, शुक्र एवं शनि चन्द्रमा के साथ होने पर इनके प्रभाव में वृद्धि हो जाती है.भोगादि ताराग्रह स्वराशि उच्चराशि में हों साथ ही वक्र या अस्तगत हों तो इनका फल मिश्रित प्राप्त होता है.वक्री ग्रह के संदर्भ में ज्योतिषशास्त्र की यह भी मान्यता है कि शुभ ग्रह वक्री होने पर व्यक्ति को सभी प्रकार का सुख, धन आदि प्रदान करते हैं जबकि अशुभ ग्रह वक्री होने पर विपरीत प्रभाव देते हैं.इस स्थिति में व्यक्ति व्यसनों का शिकार होता है, इन्हें अपमान का सामना करना होता है.