आचार्य अभिनवगुप्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आचार्य विश्वेश्वर सिद्धांतशिरोमणि ( काव्यप्रकाश के हिन्दी-व्याख्याता) ने तो यहाँ तक लिखा है कि अभिनव भारती की उपलब्ध प्रति पढ़कर स्वर्ग से आकर स्वयं आचार्य अभिनवगुप्त भी उसे नहीं समझ सकते।
- हालाँकि उक्त टीकाकार आचार्यों का उल्लेख विभिन्न काव्यशास्त्रों तथा इस ग्रंथ पर उपलब्ध एक मात्र आचार्य अभिनवगुप्त की टीका ‘अभिनवभारती ' में मिलता है, अन्य उक्त आचार्यों की टीकाएँ आज अनुपलब्ध हैं।
- आचार्य विश्वेश्वर सिद्धांतशिरोमणि ( काव्यप्रकाश के हिन्दी-व्याख्याता ) ने तो यहाँ तक लिखा है कि अभिनव भारती की उपलब्ध प्रति पढ़कर स्वर्ग से आकर स्वयं आचार्य अभिनवगुप्त भी उसे नहीं समझ सकते।
- हालाँकि उक्त टीकाकार आचार्यों का उल्लेख विभिन्न काव्यशास्त्रों तथा इस ग्रंथ पर उपलब्ध एक मात्र आचार्य अभिनवगुप्त की टीका ‘ अभिनवभारती ' में मिलता है , अन्य उक्त आचार्यों की टीकाएँ आज अनुपलब्ध हैं।
- वैसे आचार्य अभिनवगुप्त ने इनके ध्वनिविरोधी सिद्धान्तों का ध्वन्यालोक पर अपनी ‘लोचन टीका ' में बहुत ही जोरदार ढ़ग से खण्डन किया है और रसनिष्पत्ति के सिद्धांन्तो का आचार्य भरत के नाट्यशास्त्र की टीका ‘अभिनवभारती' में।
- उसके लगभग एक हज़ार वर्ष बाद हमारे आचार्य अभिनवगुप्त ने नाट्यशास्त्र पर टीका लिखी अभिनव भारती , जिसमें नवां रस शामिल किया गया-शांत रस जिसका स्थाई भाव है शम , अर्थात् आठों रसों की सामरस्य पूर्ण उपस्थिति।
- भारतीय काव्यशास्त्र में आचार्य अभिनवगुप्त के शिष्य क्षेमेंद्र ने अपनी कृति “औचित्यविचारचर्चा” में रससिद्ध काव्य का जीवित या आत्मभूत औचित्य तत्व को घोषित कर एक नए सिद्धांत की स्थापना की थी , जो औचित्यवाद के नाम से प्रसिद्ध है।
- उसके लगभग एक हज़ार वर्ष बाद हमारे आचार्य अभिनवगुप्त ने ' नाट्यशास्त्र ' पर टीका लिखी ' अभिनव भारती ' , जिसमें नवाँ रस शामिल किया गया- शांतरस , जिसका स्थाई भाव है शम , अर्थात् आठों रसों की सामरस्य पूर्ण उपस्थिति।