आप्तकाम का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आप्तकाम किसे कहते हैं ? आप्तकाम उसे कहते हैं , बेटे ! जिसकी सब मनोकामनाएँ पूरी हो जाएँ।
- अगर हमारे दृष्टिकोण में ये पाँच विशेषताएँ आ जायें , तो हम आप्तकाम हो जायें , देवता हो जायें।
- सत्य से आप्तकाम ऋषि लोग उस पद को प्राप्त होते हैं जहाँ वह सत्य का परम निधान वर्तमान है .
- देवता के गुणों में , देवता के पास जो सिद्धि होती है , उनमें एक होती है- ‘ आप्तकाम ' ।
- यह समस्त प्रतिपादन एक ही तथ्य को प्रकट करता है , कि देवत्व और आप्तकाम मनःस्थिति एक ही बात है ।
- यही वह मार्ग है जिससे होकर आप्तकाम ( जिनकी कामनाएं पूर्ण हो चुकी हों) मानव जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।.[3]
- तो जब हमारा मन उस अनन्त , अपार के पास चला जाएगा , तो प्रेमी का मन कैसा होगा ? आप्तकाम होगा।
- तो जब हमारा मन उस अनन्त , अपार के पास चला जाएगा , तो प्रेमी का मन कैसा होगा ? आप्तकाम होगा।
- गायत्री को कल्पवृक्ष भी कहते हैं , और कामधेनु भी , उसकी छाया में बैठने वाला , पयपान करने वाला आप्तकाम रहता है ।
- इसलिए काम , क्रोध और मोह पर विजय पाने वाले आप्तकाम भगवान जिनेंद्र के श्रीचरणों में पुष्प चढ़ाना स्वयं को मोह-मुक्त करने का प्रयास है।