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आफ़ियत का अर्थ

आफ़ियत अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. 298 - उस गुनाह की कोई उम्र नहीं है जिसके बाद इतनी मोहलत मिल जाए के इन्सान दो रकअत नमाज़ अदा करके ख़ुदा से आफ़ियत का सवाल कर सके ( लेकिन सवाल यह है के इस मोहलत की ज़मानत क्या है )
  2. अपनी बला से इनके इब्तिला का नक़्शा पेश किया है और अपने सुरूर से आखि़रत के सुरूर की दावत दी है , इसकी शाम आफ़ियत में होती है तो सुबह मुसीबत में होती है ताके इन्सान में रग़बत भी पैदा हो और ख़ौफ़ भी।
  3. और तुममें सबसे ज़्यादा मुसीबतज़दा वह हो जो ख़ुदा पर सबसे ज़्यादा एतमाद रखने वाला हो , लेहाज़ा अगर ख़ुदा तुम्हें आफ़ियत दे तो उसक क़ुबूल कर लो , और अगर तुम्हारा इम्तेहान लिया जाए तो सब्र करो के अन्जामकार बहरहाल साहेबाने तक़वा के लिये है।
  4. और जब हम आदमी को अपनी तरफ़ से किसी रहमत का मज़ा देते हैं उस पर ख़ुश हो जाता है , ( 15 ) ( 15 ) चाहे वह दौलत और जायदाद हो या सेहत व आफ़ियत या अम्न व सलामती या शान व शौकत .
  5. ख़ुदा की हम्द है उस पर जो हो चुका और उसकी इमदाद का तक़ाज़ा है के उन हालात पर जो सामने आने वाले हैं , हम उससे दीन की सलामती का तक़ाज़ा उसी तरह करते हैं जिस तरह बदन की सेहत व आफ़ियत की दुआ करते हैं।
  6. याद रखो के दुनिया बावर करने वाले के लिये सच्चाई का घर है और समझदार के लिये अम्न व आफ़ियत की मन्ज़िल है और नसीहत हासिल करने वाले के लिये नसीहत का मक़ाम है , यह दोस्ताने ख़ुदा के सुजूद की मन्ज़िल और मलाएका-ए आसमान का मसला है।
  7. उन पर अज्र और सवाब की बेहिसाब बारिश होगी , यहाँ तक कि दुनिया में आफ़ियत की ज़िन्दगी बसर करने वाले उन्हें देखकर आरज़ू करेंगे कि काश वो मुसीबत वालों में से होते और उनके जिस्म क़ैंचियों से काटे गए होते कि आज यह सब्र का फल पाते .
  8. वह रग़बत ( लोभ ) दिलाने और ड़राने , ख़ौफ़ज़दा ( भयभीत ) करने और मुतनब्बेह ( सचेत ) करने के लिये शाम को अम्नो आफ़ियत ( शांति एवं कुशलता ) का और सुब्ह को दर्दो अन्दोह ( दुख एवं क्षोभ ) का पैग़ाम ( सन्देश ) ले कर आती है।
  9. दुष्मन उनसे दूर-दूर रहे , आफ़ियत का दामन उनकी तरफ़ फ़ैला दिया गया , नेमतें उनके सामने सर निगूं हो गईं और करामत व “ ाराफ़त ने उनसे अपना रिष्ता जोड़ लिया के वह इफ़तेराक़ से बचे , मोहब्बत के साथ , इसी पर दूसरों को आमादा करते रहे और इसी की आपस में वसीयत और नसीहत करते रहे।
  10. दुष्मन उनसे दूर-दूर रहे , आफ़ियत का दामन उनकी तरफ़ फ़ैला दिया गया , नेमतें उनके सामने सर निगूं हो गईं और करामत व “ ाराफ़त ने उनसे अपना रिष्ता जोड़ लिया के वह इफ़तेराक़ से बचे , मोहब्बत के साथ , इसी पर दूसरों को आमादा करते रहे और इसी की आपस में वसीयत और नसीहत करते रहे।
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