आश्वमेधिक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- फलस्वरूप समाज नैष्कर्म्य में लिप्त हो जाएगा . आश्वमेधिक पर्व में भी ग्रन्थकार ने एक स्थल पर तत्कालीन समाज मेंव्याप्त सामुद्रिक शास्त्र की मान्यताओं का रहस्योद्घाटन किया है.
- कृष्ण द्वारा उक्त आग्रह कोस्वीकार करते हुए उस ज्ञान को इतिहास रूप में ( ब्राह्मण-ब्राह्मणी संवाद) सुनाया गया है जो आश्वमेधिक पर्व के अध्याय-१७ से अध्याय ५१ तक विषयवस्तु है.
- यथा-- ( अ) आश्वमेधिक पर्व के अध्याय बारह में प्राप्त द्रौपदी-अपमान, पाण्डववनवास, जटासुर-कलेश, अज्ञातवास, कीचक-प्रवञ्चना आदि कुछ घटनाएं ऐसी है जोआश्वमेधिक पर्व को आदिपर्व, सभापर्व एवं वन पर्व से जोड़ती हैं.
- अतः कहा जा सकता है कि जो घटनाएं युधिष्ठिर एवं अन्य पाण्डवों के समक्षही घटित हुयी थी उनका पुनरुल्लेखन कर ग्रन्थकार ने आश्वमेधिक पर्व कोअपने पूर्ववर्ती पर्वों से सम्बन्धित कर दिया है .
- शतपथ तथा तैतिरीय ब्राह्मणों में इसका बड़ा ही विशद वर्णन उपलब्ध है जिसका अनुसरण श्रौत सूत्रों , वाल्मीकीय रामायण , महाभारत के आश्वमेधिक पर्व में तथा जैमिनीय अश्वमेध में किया गया है।
- ( स) आश्वमेधिक पर्व के अध्याय सोलह में अर्जुन द्वारा उस ज्ञान को पुनःश्रवण करने का अनुरोध किया गया है जो कृष्ण द्वारा महाभारत युद्ध के समयदोनों सेनाओं के मध्य में सुनाया गया था.
- " आश्वमेधिक पर्व अध्याय-तीन" में रामाश्वमेध का उल्लेख कर ग्रन्थाकार नेजहां एक ओर युधिष्ठिर को प्रेरणा (यज्ञार्थ) प्रदान की हैं वहीं दूसरी ओरअपने जिज्ञासु पाठकों को नवीन ज्ञान भी प्रदान करने का प्रयास किया है.
- " आश्वमेधिक पर्व अध्याय-तीन" में रामाश्वमेध का उल्लेख कर ग्रन्थाकार नेजहां एक ओर युधिष्ठिर को प्रेरणा (यज्ञार्थ) प्रदान की हैं वहीं दूसरी ओरअपने जिज्ञासु पाठकों को नवीन ज्ञान भी प्रदान करने का प्रयास किया है.
- " आश्वमेधिक पर्व अध्याय-तीन" में रामाश्वमेध का उल्लेख कर ग्रन्थाकार नेजहां एक ओर युधिष्ठिर को प्रेरणा (यज्ञार्थ) प्रदान की हैं वहीं दूसरी ओरअपने जिज्ञासु पाठकों को नवीन ज्ञान भी प्रदान करने का प्रयास किया है.
- ४ ९ ( इन्द्रियों से ग्रहण होने वाले विषयों की व्यक्त तथा न होने वालों की अव्यक्त संज्ञा का उल्लेख ; इन्द्रियों के नियन्त्रण से तृप्ति प्राप्त होने का उल्लेख ) , आश्वमेधिक २२ .