आसूदा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- साहित्य जरूरी है या घर का किराया ? साहित्य का महत्व ज्यादा है या राशन कार्ड का ? जिन्दगी को एक खूबसूरत नज्म , एक उदास चैपाई ज्यादा खूबसूरत बनाती है या पत्नी की एक आसूदा मुस्कुराहट ? गालिब का दीवान या धोबी का हिसाब ? लड़ाई या कम्प्रोमाइज ? कम्प्रोमाइज ।
- हर इक फ़रियाद की लै ढाल कर इक अज़्मे-आहन में हर इक नारे की बिजली करके आसूदा निशेमन में हर इक बिजली को दुश्मन पर गिरा देने का वक़्त आया वतन फिर तुझको पैमाने-वफ़ा देने का वक़्त आया हर इक बाज़ारो-कू को रज़्मगह शायद बनाना हो हर इक दीवारो-दर पर मोर्चा शायद बनाना हो
- ( (( इस बेहतरीन बरताव में इताअत , उफ़्फत , तदबीरे मन्ज़िल , क़नाअत , अदम मुतालेबात , ग़ैरत व हया और तलबे रिज़ा जैसी तमाम चीज़ें शामिल हैं जिनके बग़ैर अज़द्वाजी ज़िन्दगी ख़ुशगवार नहीं हो सकती है और दिन भर ज़हमत बरदाश्त करके नफ़्क़ा फ़राहम करने वाला शौहर आसूदा व मुतमईन नहीं हो सकता है )))
- इस तरह तुम तलाश की ज़हमत से मुस्तगनी और तजरिबे की कुलफतों से आसूदा हो जाओगे और तजरिबा और इल्म की वह बातें तुम तक पहुंच रही हैं कि जिन पर हम मुत्तलअ हुए फिर वह चीज़ें भी उजागर हो कर तुम्हारे सामने आ रही हैं कि जिन में से कुछ , मुम्किन है , हमारी आंखों से ओझल हो गई हों।
- वोह पूछते ही रहे हमसे बात ही न हुई कहाँ से बढ़कर पहुँचे हैं कहाँ से बढ़कर पहुँचे हैं कहाँ तक इल्म-ओ-फ़न साक़ी मगर आसूदा इनसाँ का न तन साक़ी न मन साक़ी ये सुनता हूँ कि प्यासी है बहुत ख़ाक-ए-वतन साक़ी ख़ुदा हाफ़िज़ चला मैं बाँधकर सर से कफ़न साक़ी सलामत तू तेरा मयख़ाना तेरी अंजुमन साक़ी मुझे करनी है अब कुछ खि़दमत-ए-दार-ओ-रसन साक़ी रग-ओ-पै में कभी सेहबा [ ...]