आस्पद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस कुण्डली मेँ कोदई बाबू का नाम ‘ श्रीवत्स ' , आस्पद ‘ पञ्चप्रवर ' और पुकारनाम ‘ कोदई ' लिखा हुआ था .
- इस कुण्डली मेँ कोदई बाबू का नाम ‘ श्रीवत्स ' , आस्पद ‘ पञ्चप्रवर ' और पुकारनाम ‘ कोदई ' लिखा हुआ था .
- इस कुण्डली मेँ कोदई बाबू का नाम ‘ श्रीवत्स ' , आस्पद ‘ पञ्चप्रवर ' और पुकारनाम ‘ कोदई ' लिखा हुआ था .
- अनुच्छेद 28 प्रत्येक व्यक्तिके ँ एहन सामाजिक आ अन्तरराष्ट्रीय आस्पद प्राप्त करबाक अधिकार छैक जाहिसँ एहि घोषणामे उल्लिखित अधिकार आ‘ स्वतन्त्रता प्राप्त कएल जाए सकए।
- आस्पद / उपाधि मिश्र , पाठक , पाण्डेय आदि कई बातों पर आधारित हैं , जैसे - साधना , अध्ययन की परंपरा , उसकी शैली राजा द्वारा दी गई उपाधि आदि।
- उस समय पूरे भारत में पारीकों के घरों की संख्या 1 , 99,050 थी।जो ब्राह्मण वेद और वेदागों का व्याख्यानो द्वारा विवेचन करके संसार में विस्तार करने लगे उनका आस्पद (उपाधि) ऐसा हुआ।
- संवत् 1300 विक्रम के आरम्भ में तावणा मिश्र श्री ज्ञानचूडजी ने संसार भ्रमन करके पता लगाकर यह निश्चत किया था कि पारीकों के 9 आस्पद , 12 गौत्र और 108 शाखाएं विद्यमान है।
- उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि पुरोहित देवर्षि जी ने पारीक जाति का जहां महासम्मेलन आयोजित किया वहीं हमारी जनसंख्या की गणना भी कराई तथा हमारे आस्पद , गोत्र एवं शाखाओं की भी गणना कराई।
- इतनी बात यहाँ भी स्मरण रखने योग्य है कि जिस प्रकार ब्राह्मण के कान्यकुब्ज और गौड़ आदि नाम आधुनिक हैं उसी प्रकार तिवारी , चौबे , मिश्र , राय , सिंह और खाँ आदि पदवियाँ या आस्पद भी।
- पंडित लालचंद जी ने मारवाड़ , ढूंढाड़, शेखावटी, मथुरा, काशी, मालवा, मेवाड़ आदि देशों में भ्रमण किया और पता लगाकर यह निश्चित किया गया कि वर्तमान समय में पारीक्ष ब्राह्मणों के 9 आस्पद, 12 गोत्र और 103 शाखाएं हैं।”