आस्रव का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जब खो गये सारे रास्ते , रज भी शान्त हुआ, आस्रव रुद्ध हो चले
- अध्याय में आस्रव तत्त्व का , आठवें अध्याय में बन्ध तत्त्व का नवमें अध्याय
- इसे समझाते हुए भगवान तथागत ने कहा- भन्ते , तीसरा आस्रव है- दृष्टास्रव ।
- ये ही अनुशय संयोजन , बंधन ओघ, आस्रव आदि शब्दों द्वारा भी व्यक्त किए गए हैं।
- अब यहां तीसरे और चौथे आस्रव व बंध नामक तत्वों की व्याख्या की जाती है।
- आस्रव और बंध का विवेचन जैन कर्म-सिद्धान्त में आता है , और वही उसका मनोविज्ञान-शास्त्र है।
- महाकाश्यप ने विनम्रता से पूछा- भगवान् क्षीणास्रव होना क्या है ? बुद्ध बोले- चार आस्रव होते हैं।
- दूसरा आस्रव है- भवास्रव , यानि कि स्वर्ग , मोक्ष या फिर अगले अच्छे जीवन की कामना।
- जैन न्याय में कुल सात तत्व माने गए हैं- जीव , अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष ।
- भगवान ने आगे हृदयस्पर्शी स्वरों में कहा- भिक्षु एकुदान के ये चारों ही आस्रव क्षीण हो चुके हैं।