आहवनीय का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बृहन्तं की व्याख्या करते हुए मानों कहा गया है कि वह अपनी वर्षाओं के द्वारा तृप्त करने वाला सरस्वान् व्यक्तित्व है और उसी रूप में वह आहवनीय भी है ।
- अर्यमा = सूर्य अभिषुत सोम = पीसा हुआ सोम आहवनीय = हवन के उपयुक्त अश्विद्वय = दोनॉ अश्विनी कुमार निषण्ण = उपविष्ट वधूसरा = च्यवन की माता का नाम पुलोमा था .
- पंचम अंक अर्यमा = सूर्य अभिषुत सोम = पीसा हुआ सोम आहवनीय = हवन के उपयुक्त अश्विद्वय = दोनॉ अश्विनी कुमार निषण्ण = उपविष्ट वधूसरा = च्यवन की माता का नाम पुलोमा था .
- मस्तक पर धारण कि गई यह तीन रेखाएं तीन अर्थों को व्यक्त करती हैं प्रथम रेखा ग्रह पथ्य अग्नि है दुसरी रेखा आग दक्षिणा अग्नि है और तीसरी रेखा आहवनीय अग्नि का रूप है यह तीनों रेखाएं ॐ की प्रतीक हैं .
- मनुष्यों का सबसे पहला संगठन परिवार के रूप में था . पारिवारिक दशा में उन्नति होकर ‘ आहवनीय ' दशा आई . इस दशा में ग्रहों ( परिवारों ) के स्वामियों ( गृहपतियों ) का एक स्थान पर आह्नान किया जाता था .
- आत्मतत्व , विद्यातत्व और शिव तत्व-इन तीनों तत्वों के ; आहवनीय , गार्हपत्य और दक्षिणाग्नि इन तीनों अग्नियों ; सर्वत्र उपलब्ध होने वाले पृथ्वी , जल एवं तेज इन तीनों मूर्त भूतों के ( अथवा सात्विक आदि भेद से त्रिविध भूतों के ) , त्रिदिव ( स्वर्ग ) के , त्रिभुज के , त्रिधाभूत के , ब्रह्मा , विष्णु और शिव-तीनों देवताओं के ईश्वर महादेव ही हैं।
- आत्मतत्व , विद्यातत्व और शिव तत्व-इन तीनों तत्वों के ; आहवनीय , गार्हपत्य और दक्षिणाग्नि इन तीनों अग्नियों ; सर्वत्र उपलब्ध होने वाले पृथ्वी , जल एवं तेज इन तीनों मूर्त भूतों के ( अथवा सात्विक आदि भेद से त्रिविध भूतों के ) , त्रिदिव ( स्वर्ग ) के , त्रिभुज के , त्रिधाभूत के , ब्रह्मा , विष्णु और शिव-तीनों देवताओं के ईश्वर महादेव ही हैं।