इष्टि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसके प्रतिपाद्य विषय ये हैं- दर्शपौर्णमास इष्टि ( 1-2 अ0); अग्न्याधान (3 अ0); सोमयज्ञ (4-8 अ0); वाजपेय (9 अ.); राजसूय (9-10 अ.); अग्निचयन (11-18 अ.) सौत्रामणी (19-21 अ.); अश्वमेघ (22-29 अ.); सर्वमेध (32-33 अ.); शिवसंकल्प उपनिषद् (34 अ.); पितृयज्ञ (35 अ.); प्रवग्र्य यज्ञ या धर्मयज्ञ (36-39 अ.); ईशोपनिषत् (40 अ.)।
- याज्ञवल्क्य जी द्वारा रचित ग्रंथों की श्रेणी में सर्वप्रथम ग्रंथ शुक्ल यजुर्वेद संहिता प्राप्त होता है इसके 40 अध्यायों में पद्यात्मक मंत्र तथा गद्यात्मक यजुर्वेद भाग का संग्रह है इसके विषय ये हैं दर्शपौर्णमास इष्टि , अग्न्याधान , सोमयज्ञ , वाजपेय , राजसूय , अग्निचयन , सौत्रामणी , अश्वमेघ , शिवसंकल्प उपनिषद , ईशोपनिषत जैसे विषय देखे जा सकते हैं .