ईशोपनिषद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ईशोपनिषद के अनुसार मनुष्य को भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनोंही क्षेत्रों में सक्रिय रहना चाहि ए .
- विस्मय के अंशी है ( ईशोपनिषद व संस्कृत कविताओं का गीत रूपान्तर) धरती प्रकाशन, बीकानेर 1988
- भगवान को ईशोपनिषद ने अपने पहले ही मंत्र में यूं कहा है : -ईशावास्यमिदम् सर्वमयत्किंच जगत्याम् जगत्।
- ईशोपनिषद के इस वचन में आत्महनन करने वालों के गहन अन्धकार में जाने की बात कही गयी है।
- ईशोपनिषद के इस वचन में आत्महनन करने वालों के गहन अन्धकार में जाने की बात कही गयी है।
- ये के चात्महनो जनाः॥ ईशोपनिषद के इस वचन में आत्महनन करने वालों के गहन अन्धकार में जाने क . .
- ईशोपनिषद में आत्मतत्व के इस ऊपरी तौर पर विरोधाभासी लगने वाले व्यवहार का वर्णन इस प्रकार किया गया है-
- 3 . अध्ययन के बारे में भी मैं निपट अनाड़ी हूँ , फिर भी ईशोपनिषद से आरम्भ करने को कहूँगा।
- ये के चात्महनो जनाः॥ ईशोपनिषद के इस वचन में आत्महनन करने वालों के गहन अन्धकार में जाने की बात कही गयी है .
- विस्मय के अंशी है ( ईशोपनिषद व संस्कृत कविताओं का गीत रूपान्तर) धरती प्रकाशन, बीकानेर 1988ं साथ चलें हम (काव्यनाटक) गाड़ोदिया प्रकाशन, बीकानेर 1992।