उकवत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- दाद हो , इनाई हो , खजुरी हो , उकवत हो , अपरस हो , एक्जीमा हो , छाजन हो तथा ऐसे ही अन्य कठिन व पुराने चर्म रोगों की दवा - हमारी परचार गाड़ी के पास से मुफ़्त लगवाइए ! सिर्फ़ खाज थोड़ै ।
- ५ . २ उकवत में शरीर के अंगों की चमड़ी कभी-कभी इतनी विकृत एवं विद्रूप हो जाती है कि एलोपैथी चिकित्सक उस अंग को काटने तक की भी सलाह दे देते हैं, किन्तु वैद्यों का अनुभव है कि ऐसे भयंकर चर्मरोग में भी नीम प्रभावकारी होता है।
- ५ . २ उकवत में शरीर के अंगों की चमड़ी कभी-कभी इतनी विकृत एवं विद्रूप हो जाती है कि एलोपैथी चिकित्सक उस अंग को काटने तक की भी सलाह दे देते हैं , किन्तु वैद्यों का अनुभव है कि ऐसे भयंकर चर्मरोग में भी नीम प्रभावकारी होता है।
- साधु ने आगे कहा , '' दवा लगाने के बाद तू रोगी को हिदायत देना कि इक्कीस दिन तक वह सर पर पानी न डाले , कन्धे से ही नहाये , उकवत के घाव की जगह को रोज ठण्डे पानी से धोये , उस पर कोई दवा न लगाये।
- साधु ने आगे कहा , '' दवा लगाने के बाद तू रोगी को हिदायत देना कि इक्कीस दिन तक वह सर पर पानी न डाले , कन्धे से ही नहाये , उकवत के घाव की जगह को रोज ठण्डे पानी से धोये , उस पर कोई दवा न लगाये।
- यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरह के कुष्ठ रोग - गलित कुष्ठ , सफ़ेद कुष्ठ , वादी कुष्ठ , ग्रंथि कुष्ठ , उकवत , अपरस , एक्जीमा , संक्रामक खुजली , भगंदर तथा जीर्ण व्रण ( Ulcer ) या अर्बुद ( Cancer ) rog से पीड़ित हो तो उसे पारद शिवलिंग की उपासना अवश्य ही करनी चाहि ए.
- यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरह के कुष्ठ रोग - गलित कुष्ठ , सफ़ेद कुष्ठ , वादी कुष्ठ , ग्रंथि कुष्ठ , उकवत , अपरस , एक्जीमा , संक्रामक खुजली , भगंदर तथा जीर्ण व्रण ( Ulcer ) या अर्बुद ( Cancer ) rog से पीड़ित हो तो उसे पारद शिवलिंग की उपासना अवश्य ही करनी चाहि ए.
- फोड़ा , फुंसी , उकवत , अपरस , एक्जीमा , दिनाय , खाज , खुज़ली , सफ़ेद कुष्ठ , गलित कुष्ठ तथा कील मुंहासे आदि से लेकर अर्बुद , भगंदर , कर्कट ( कैंसर ) आदि सब यदि कुंडली में - राहू लग्नेश के साथ छठे भाव में बैठा हो तथा लग्न में कोई शत्रु ग्रह बैठा हो चाहे वह भले ही स्वाभाविक शुभ ग्रह ही क्यों न हो , श्वेत कुष्ठ होगा .
- फोड़ा , फुंसी , उकवत , अपरस , एक्जीमा , दिनाय , खाज , खुज़ली , सफ़ेद कुष्ठ , गलित कुष्ठ तथा कील मुंहासे आदि से लेकर अर्बुद , भगंदर , कर्कट ( कैंसर ) आदि सब यदि कुंडली में - राहू लग्नेश के साथ छठे भाव में बैठा हो तथा लग्न में कोई शत्रु ग्रह बैठा हो चाहे वह भले ही स्वाभाविक शुभ ग्रह ही क्यों न हो , श्वेत कुष्ठ होगा .